अररिया : मानसून के प्रवेश करते ही खाद माफियाओं ने भी अपना फन उठा लिया है। धान की खेती के मद्देनजर तस्करों ने सीमावर्ती क्षेत्रों में खाद का स्टाक करना शुरू कर दिया है। खेतों में धान के बिचड़ा गिरते ही तस्करी का खेल भी सीमावर्ती क्षेत्रों में व्यापक पैमाने पर शुरू हो जाता है। यह प्रक्रिया साल में गेहूं के सीजन के बाद धान की खेती के समय ही ज्यादातर होती है। धान एवं गेहूं की खेती समाप्त होते ही तस्कर भी प्रशासन का ध्यान हटाने के लिए अपना कारोबार को कम कर देते हैं। धान की खेती संपन्न होते ही सीमावर्ती क्षेत्रों का यातायात भी सुविधाजनक हो जाती है, और प्रशासन की गाड़ियां भी तेज दौड़ने लगती है। इससे पहले ही खाद माफिया अपने अपने गोदामों में खाद का स्टाक कर लेते हैं। ऐसे माफियाओं के पास न माल संधारण के लिए अनुज्ञप्ति होता है और न ही बिक्री का लाइसेंस। कृषि विभाग की मिलीभगत से अररिया में सब कुछ धड़ल्ले से चलता है। खास बात तो यह है कि जब भी कहीं अवैध खाद गोदाम का उद्भेदन भी होता है, उस पर पर्दा डालने के लिए कृषि अधिकारियों द्वारा भरपूर प्रयास भी किया जाता है। जैसा कि चार माह पूर्व परवाहा में जब्त की गई करीब पांच सौ बोरी खाद के मामले में देखा गया। कृषि अधिकारियों की लीपापोती रवैए की जानकारी मिलते हीं एसपी शिवदीप लांडे ने कड़ा रूख अख्तियार करते हुए जब्त माल को थाने में लगवा दिए। लेकिन यह रवैया रूकने का नाम नही ले रहा है। विभाग की लापरवाही का ही नतीजा है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में दर्जनों खाद माफिया सक्रिय हैं। ऐसे माफिया खास कर नोमेन्स लैंड का फायदा खूब उठा रहे हैं। तस्करों को यहां गोदामों से माल नेपाल भेजने में कोई परेशानी भी नही होती है। इन क्षेत्रों में दोनों देशों के नागरिक आसानी से आ जा रहे है और दोनों के बीच रोटी बेटी का संबंध रहने के कारण भी यह धंधा आसानी से फल फूल रहा है।
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