अररिया : न्यायालय में त्वरित न्याय आज भी सपना है। एक बानगी देखिए। वर्ष 1964 में भूमि के स्वामित्व को लेकर बिहार सरकार वजरिए कलक्टर, पूर्णिया आदि के खिलाफ एक वाद दायर हुआ। इस मामले को लेकर 48 वर्ष गुजर गए तथा करीब 850 तारीखें निर्धारित की गयी। वादी व प्रतिवादी के चेहरे में तब्दीली आयी तो कई कुर्सियां भी बदलती रही। बावजूद यह मामला आज भी अररिया की अदालत में पक्षकार के तामिला की प्रतीक्षा में लंबित पड़ा है।
जानकारी के अनुसार जोकीहाट के गरिदा निवासी मो. मजीदुर्रहमान व उनकी पत्नी बीबी शकीला ने एक दीवानी वाद 27 मई 64 को टाईटल सूट नंबर 14462/64 दर्ज कराया। उक्त मामले में बिहार सरकार वजरिए कलक्टर पूर्णिया आदि पक्षकार बनाये गये। इस मामले में उल्लेख भूखंड पर वादी ने बंदोबस्ती दखलकार बताया तथा अपने स्वामित्व हासिल को लेकर दावा ठोंका। इस वाद में वादी एवं प्रतिवादी के कई चेहरे बदलते गये। संशोधन पेटिशन स्वीकृत होते रहा। साथ ही मध्यवर्गीय पक्षकार ने भी वादी व प्रतिवादी के बीच अपना दबदबा हासिल को लेकर अदालत में दस्तक दिया। इस बीच अररिया को वर्ष 1990 में जिला का दर्जा भी मिला। सरकार की ओर से नियुक्त सरकारी वकील भी अपना पक्ष रखते रहे। सैकड़ों पन्नों की इस संचिका अपनी हर पुरानी कहानी कहने को बेताब है। परंतु अररिया के मुंसिफ कोर्ट में आज भी यह मामला लंबित है, जिसकी तारीख प्रतिदिन मुकर्रर हो रही है। लेकिन अब भी पक्षकारों के निर्गत नोटिस की तामिला की बिंदु पर मामला यूं ही पड़ा है।
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