अररिया : जाम की समस्या जिले के जीवन के लिए नासूर बनती जा रही है। हर कोई परेशान है, लेकिन समस्या का हल नहीं ढूंढा जा रहा है। सुबह और शाम, जाम ही जाम। अररिया व फारबिसगंज जैसे शहर विगत पंद्रह साल से जाम से त्रस्त हैं। प्रशासन जाम हटाने के प्रति गंभीर नहीं है। अररिया व फारबिसगंज में सुबह आठ बजे से शाम नौ बजे के बीच बड़े वाहनों के प्रवेश पर लगे अंकुश का कड़ाई से पालन जरूर होता।
पहले सड़कों के जर्जर होने की वजह से जाम लगता था। जुम्मन चौक व फारबिसगंज बथनाहा मार्ग पर लगने वाला जाम अक्सर चर्चा में रहता था। लेकिन अब तो सड़कें चकाचक बन गयी हैं। तो फिर जाम क्यों लग रहा है? लोग सड़कों पर चलने के दौरान यातायात नियमों का पालन नहीं करते। सड़क पर खड़ा होकर बतियाना आम शगल बन गया है, अगर टोकिए तो अपनी शामत ही समझिए। सड़कों पर अतिक्रमण, ट्रैफिक नियमों की उपेक्षा, वाहन पड़ाव का अभाव तथा पार्किंग व्यवस्था का नहीं होना जाम लगने के अन्य प्रमुख कारण हैं।
अररिया में काली मंदिर चौक से चांदनी चौक व आगे बर्मा सेल तक अक्सर जाम जैसी स्थिति रहती है। हास्पीटल रोड तथा बस स्टैंड रोड की भी यही स्थिति है। सदर अस्पताल के निकट जाम के कारण अक्सर छोटे बड़े हादसे भी होते रहते हैं। शहर को स्वच्छ व अतिक्रमण मुक्त रखने की जिम्मेदारी नगर परिषद की होती है। लेकिन नगर परिषद के ठीक सामने ही टेम्पो पड़ाव लगता है। बस स्टैंड से नगर परिषद को हर साल लाखों की कमाई होती है, लेकिन अब तक बस पड़ाव की समुचित व्यवस्था नहीं की गयी है।
जाम से जोगबनी शहर भी परेशान है। थाना से अगर आपको सीमा पर स्थित जेपी द्वार तक जाना हो तो एक किमी की दूरी तय करने में कम से कम आधा घंटा जरूर लग जायेगा।
स्टेट हाइवे 76 व 77 के चालू हो जाने के बाद रानीगंज में भी जाम की बीमारी लग गयी है। इसके अलावा अररिया जीरो माइल, बैरगाछी, मदनपुर, बरदाहा, कुर्साकाटा, नरपतगंज, जोकीहाट, रजोखर, गीतवास व ताराबाड़ी जैसे ग्रामीण बाजारों में भी जाम लग रहा है।
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