अररिया : अमर कथा शिल्पी फनीश्वर नाथ रेणु की परती परिकथा की इस भूमि के नैनिहाल आज भी वृक्षों के छांव में पढ़ने को विवश है। केंद्र हो या राज्य सरकार सर्व शिक्षा अभियान के नाम पर अरबों रुपया प्रति वर्ष खर्च कर रही है। इसके बावजूद यहां के जिज्ञासु बच्चों को स्कूल भवन नसीब नहीं है। अररिया में भी सर्व शिक्षा अभियान के माध्यम से करीब एक अरब रुपया प्रति वर्ष आवंटित हो रहा है, खर्च भी किया जा रहा है, परंतु आज भी जिले में सैकड़ों स्कूलों का भवन नहीं बन पाया।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिले में आज भी करीब 305 विद्यालय का भवन भूमि के अभाव में नहीं बन पाया है। उदाहरण स्वरूप वार्ड नं. 9 स्थित कोल्ड स्टोर के निकट संचालित प्रावि भगत टोला पिछले 15 वर्षो से भूमि व भवन की बाट जोह रहा है। यह संख्या अभी और बढ़ने के आसार है। क्योंकि शिक्षा विभाग ने हाल के दिनों में जिले के लिए 296 नये विद्यालय खोलने की अनुमति दी है। अब इसके लिए भी भूमि व भवन की आवश्यकता है। अररिया जिला पहले से ही साक्षरता दर में फिसड्डी साबित है। इसके बावजूद इसे बढ़ावा देने के लिए छोटे-छोटे बच्चों को शिक्षा दिलाने के उद्देश्य से भूमिहीन विद्यालय को भूमि उपलब्ध नहीं कराना तथा भवनहीन स्कूलों को भवन देने में कोताही बरती जा रही है।
कहते हैं विभागीय अधिकारी:- इस संबंध में शिक्षा विभाग के डीपीओ बसंत कुमार का कहना है कि एसएसए के वार्षिक बजट के अनुसार ही भवन का कार्य होता है। श्री कुमार ने कहा कि प्रत्येक वर्ष भवन निर्माण कराये जा रहे हैं। हाल हीं में 62 भवनहीन विद्यालयों को भूमि उपलब्ध कराकर भवन निर्माण कार्य आरंभ कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जल्द ही भवनहीन स्कूलों में भी भवन की व्यवस्था की जा रही है।
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