Thursday, February 16, 2012

आंगनबाड़ी केंद्रों से निकल रही नारी सशक्तीकरण की राह


अररिया : जागरूकता की कमी व महिला निरक्षरता का दंश झेल रहे अररिया जिले को आखिरकार एक बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की सक्रियता से समर्थ अभियान में यह जिला सूबे में प्रथम रहा है। यह उपलब्धि निश्चय ही मील का पत्थर है।
जिले में कार्यरत तकरीबन दो हजार आंगनबाड़ी केंद्रों से नारी सशक्तीकरण एक नयी राह नजर आ रही है। अनियमितता व कागजी केंद्रों के तमाम आरोपों के बीच आंगनबाड़ी वकर्स समर्थ अभियान में सक्रिय हुई तो यह जिला प्रदेश में पहले नंबर पर आया। शायद यह यहां की आधी आबादी की ताकत का एक छोटा सा नमूना है।
जिलाधिकारी एम सरवणन की मानें तो सामाजिक सुरक्षा विभाग के इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में आंगनबाड़ी केंद्रों के जुड़ाव से पहले अभियान की उपलब्धि बेहद कम थी। नि:शक्त जनों के सर्वे व प्रमाणीकरण को ले कई बार सर्वे व शिविर का आयोजन किया गया, लेकिन वांछित सफलता नहीं मिल पायी। उन्होंने कहा कि इस दिक्कत से निजात पाने के लिए अभियान में आंगनबाड़ी सेविका व सहायिकाओं को जोड़ने की पहल की गयी। इसके पीेछे यह सोच थी कि आंगनबाड़ी वकर्स ग्रास रूट स्तर की कार्यकर्ता होती हैं। उन्हें अपने इलाके के तकरीबन हर घर व व्यक्ति की जानकारी होती है। लिहाजा अभियान की सफलता सुनिश्चित करने के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को जोड़ने का निर्देश दिया गया। इससे सफलता तुरंत मिली। प्रखंड स्तर पर आयोजित शिविरों में न तो नि:शक्तों की अनियंत्रित भीड़ उमड़ी और न ही उनके प्रमाणीकरण में कोई कठिनाई सामने आयी।
उन्होंने बताया कि विभाग के प्रधान सचिव ने अररिया के माडल को पूरे राज्य में अपनाने का आदेश जारी किया है। यह जिले के लिए एक सम्मान है तथा इसके लिए उन आंगनबाड़ी वकर्स की सराहना होनी चाहिये जिनकी सक्रियता से ऐसा हो पाया।
बात इसके अलावा भी है। आंगनबाड़ी केंद्रों को पल्स पोलियो, कन्या सुरक्षा, टीकाकरण, पोषाहार वितरण व निरक्षरों के पठन पाठन जैसे समयबद्ध अभियानों से भी जोड़ा गया है। इससे संबंधित कार्यक्रमों को न केवल गति मिल रही है, बल्कि वे सफलता भी हासिल कर रहे हैं। हालांकि आबादी के हिसाब से केंद्रों की कमी व व्याप्त भ्रष्टाचार इस सफलता की रफ्तार को कम कर रहा है।
इस संबंध में अररिया के डीपीओ चंद्र प्रकाश का कहना है कि जिले में आबादी के अनुपात में तकरीबन तीन हजार केंद्र होने चाहिये, लेकिन इस वक्त उतने केंद्र कार्यरत नहीं हैं। लेकिन इस दिशा में पहल की जा रही है। खाली पड़े केंद्रों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला गया है और नये केंद्र खोलने पर भी नियमानुसार कार्रवाई की जायेगी। उनके मुताबिक आंगनबाड़ी केंद्रों पर व्याप्त भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के उपाय भी किये जा रहे हैं। जहां गड़बड़ी पकड़ी जाती है उस सेविका व सहायिका को तत्काल चयनमुक्त कर दिया जा रहा है।
इन प्रशासनिक कवायदों के इतर एक बात साफ है कि आंगनबाड़ी केंद्रों पर शिरकत कर महिलाएं इलीट जमात में शामिल हो रही हैं तथा समाज की दिशा व दशा के निर्धारण में अहम भूमिका निभाने लगी हैं। हालांकि अपनी मजबूती को साबित करने के लिए उन्हें अब भी लंबा फासला तय करना होगा।

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