Tuesday, February 14, 2012

टिकट घोटाला एक्सप्रेस का टर्मिनल नेपाल में


अररिया : ट्रेनें भले ही जोगबनी से आगे नहीं जाती हों, लेकिन रेल टिकट घोटाले के तार जरूर नेपाल तक जुड़े हैं। जोगबनी स्टेशन पर टिकट ब्लैक करने वाले गिरोह का पर्दाफाश होने के बाद यह बात सामने आ आई है कि टिकट की कालाबाजारी का धंधा भारत में हो रहा है कि लेकिन इसके कारोबारी नेपाल के हैं।
एसपी शिवदीप लांडे ने बताया कि टिकट ब्लैक का काला धंधा करने वाला सरगना नेपाल का रहने वाला है। इसमें भारतीय नागरिकों के साथ नेपाल के कई नागरिक संलिप्त हैं। इन पर पुलिस की पैनी नजर है। उन्होंने बताया कि भारत में रेल टिकट का धंधा कर नेपाल में संपत्ति बनाई गई है। पकड़े गए मनोज सोनी के बारे में उन्होंने बताया कि उसने डेढ़ साल के अंदर नेपाल में डेढ़ करोड़ की बिल्डिंग बनाई है।
इधर, मनोज सोनी ने पुलिस के सामने बताया कि वह तो इस खेल का एक छोटा सा प्यादा है, बादशाह व वजीर कोई और है जिसका अड्डा नेपाल में है। वहीं, रेलकर्मियों से पूछताछ में भी इस बात का खुलासा हुआ है कि रेल टिकट घोटाला का असल सेंटर नेपाल में ही है। पुलिस की तहकीकात के सारे सूत्र भी नेपाल की ओर ही इशारा करते हैं।
इधर, इस टिकट घोटाले के कारण भारतीय क्षेत्र में टिकटों की हर हमेशा किल्लत बनी रहती थी। मसलन आप सीमांचल एक्सप्रेस का टिकट लेने जाइये तो पता चलेगा कि अगले कई महीनों तक बुक है। जानकार मानते हैं कि टिकट के ब्लैकियर रेल कर्मियों की मिली भगत से महत्वपूर्ण गाड़ियों का सारा टिकट पहले ही हड़प लेते थे और बाद में उसे महंगी कीमत पर बेचते थे।
बाक्स के लिए
आठ बजते ही लिंक फेल?
अररिया : रेल टिकट आरक्षण की कंप्यूटरीकृत प्रणाली लागू होने के बाद से टिकटों की ब्लैक में और इजाफा हुआ है। पहले जब मैनुअल बुकिंग होती थी तब भ्रष्ट रेल कर्मियों की मिलीभगत से यह धंधा परवान पर था। लेकिन जब से कंप्यूटरीकृत सिस्टम लागू हुआ तो धंधेबाजों ने एक नया तरीका खोज निकाला। सुबह आठ बजने से पहले से ही बुकिंग दफ्तर के पास ब्लैकियरों का जमावड़ा लग जाता था। लाइन में लोग लगते थे, लेकिन आठ बजे कंप्यूटर खुलते ही लिंक फेल हो जाता था। इससे लाइन में लगे आदमी निराश होकर ब्ल्ैकियरों के चंगुल में फंस कर अपनी जेब ढीली करवाने को विवश हो जाते थे।

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