Wednesday, February 15, 2012

सरकार सहयोग करें तो तौबा कर लें इस धंधा से


फारबिसगंज (अररिया) : प्रशासनिक व सामाजिक उपेक्षा के कारण रेड लाईट एरिया के परिवारों को मुख्य धारा से जोड़ना अब भी कठिन चुनौती बनी हुई है। आखिर कौन चाहेगा उपेक्षा के साथ जीना?
फारबिसगंज लाल बत्ती क्षेत्र की महिलाएं देह व्यापार के दलदल से निकलना चाहती हैं, लेकिन आर्थिक तंगी आड़े आ रही है।
यहां की महिलाओं ने कहा कि सरकार अगर आर्थिक मदद करें तो वे इस देह व्यापार के धंधा से तौबा कर ले। उन्होंने कहा कि सरकारी ही नही समाज को भी हमे सहयोग करना पड़ेगा। तभी इस कलंक से मुक्ति मिलेगी। लेकिन हर स्तर पर उपेक्षा व आर्थिक तंगी के कारण इस दलदल से निकलने की उनकी चाहत लगातार दबती रही है। क्या इन परिवारों के बच्चे आर्थिक-सामाजिक स्तर पर आगे बढ़ना नही चाहेंगे? फारबिसगंज रेड लाइट एरिया तो एक प्रतीक मात्र है, सीमावर्ती क्षेत्र के जोगबनी का लालबत्ती एरिया तथा खबासपुर सहित अन्य जगहों पर भी दशकों से औरतें व नाबालिग लड़कियां अपनी देह का सौदा कर पेट पाल रही हैं। इन्हें मेन स्ट्रीम में लाने की लगभग योजनाएं बेकार साबित हुई है।
फारबिसगंज के रेफरल अस्पताल तथा मेला परिसर से सटे रामपुर उत्तर पंचायत क्षेत्र में पड़ने वाले रेड लाइट एरिया की निवासी महिला आमना खातुन कहती है कि सरकार उन लोगों को दो-दो लाख रुपया भी आर्थिक मदद करे तो कोई स्वरोजगार कर ले और इस गंदे काम को छोड दें। वे कहती है कि सरकार के स्तर पर उन लोगों को कोई मदद नही मिलती है। यहां कई परिवारों को इंदिरा आवास, बीपीएल कार्ड तक नही मिला है। वहीं बीबी फातिमा कहती है कि यहां प्रत्येक परिवार में जागरूकता लाने की जरूरत है जिसके लिये वह प्रयासरत है। यहां की बच्चियां तथा बच्चे कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय सहित अन्य सरकारी विद्यालयों में नामांकित है तथा शिक्षा भी ग्रहण कर रहे है। लेकिन ये बच्चे आखिकार उसी गंदे माहौल में रहते हैं। जिससे इस माहौल से इन्हें बचाये रखना मुमकिन नही है। आमना जैसी कई महिलाएं है जो इस धंधे को छोड़कर दूसरा काम-काज करना चाहती है। यहां के कुछ पुरुष बाहर भी काम करते है। यहां के लोग चाहते हें कि उन्हें भी समाज में सम्मान मिले। लेकिन समाज तो इनको लेकर आंख मूंदे हुए है। जिस कारण इन्हें मुख्य धारा में शामिल करना बेहद कठिन है। बहरहाल अब देखने वाली बात होगी कि सरकार और समाज की पहला कब तक होती है। पुलिस के द्वारा यहां लालबत्ती में छापामारी कर अधिकांश नाबालिग लड़कियों, स्कूल छात्रा सहित 25 लड़कियों को बरामद तो कर लिया गया, लेकिन इनके पुनर्वास के क्या ठोस उपाय होंगे। क्या इन्हें देह व्यापार से दूर शिक्षा व स्वरोजगार से जोड़ा जा सकेगा। इससे पूर्व भी देह लाइट एरिया से लड़कियां बरामद हुई है। लेकिन उनकी बदहाली दूर नही हुई।
News Source - in.jagran.yahoo.com/news/local/bihar/4-4-97.html

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