Saturday, November 12, 2011

अररिया की जीवन रेखा खतरे में


अररिया : अररिया की जीवन रेखा जूट की खेती से किसानों का मोहभंग हो गया है। दो सप्ताह पूर्व पलासी प्रखंड के किसानों ने जूट के कम दाम से आजिज आकर अपनी फसल ही जला दी। खूब शोर हुआ। पर केंद्र सरकार के वस्त्र मंत्रालय को शायद यह शोर सुनाई नहीं पड़ी। प्रशासन के स्तर से अब तक इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हुई। जोकीहाट, अररिया, सिकटी आदि प्रखंडों में भी यह कुंठा साफ नजर आती है। पलासी में किसान संघ के अध्यक्ष देव नारायण झा ने बताया कि जूट किसानों के सामने अब आत्महत्या के सिवा कोई चारा नहीं बचा है।
जूट की खेती में आने वाली लागत व फसल की वर्तमान बाजार दर से साफ पता चलता है कि जूट अब घाटे का सौदा बन चुकी है। एक एकड़ में आम तौर पर 23 हजार से अधिक की लागत आती है। अगर फसल अच्छी हुई तो दस क्विंटल की पैदावार होती है। वर्तमान भाव से अगर देखें तो आमदनी 18 हजार के लगभग होती है, यानी जूट की खेती पूरी तरह घाटे का सौदा बन चुकी है।
सरकार की बेरुखी पड़ रही भारी : जूट व्यवसाय व इसकी बिक्री का नियंत्रण केंद्र सरकार के वस्त्र मंत्रालय के हाथ में होता है। सरकार ने जूट की न्यूनतम सपोर्ट प्राइस 1600 रुपये प्रति क्विंटल तय कर रखी है। खुले बाजार में जूट का भाव 1800 रुपये प्रति क्विंटल है। जाहिर है किसानों को सरकार के स्तर से कोई लाभ नहीं पहुंच रहा है।
क्या कहते हैं जूट व्यवसायी : अररिया के एक जूट व्यवसायी भैरोदान भूरा का कहना है कि खुले बाजार में जूट की कीमत कोलकाता के जूट मिल तय करते हैं। वे अपनी जरूरत के मुताबिक भाव तय करते हैं तथा उसी अनुरूप माल मंगाते हैं। खुदरा व्यवसायी जूट मिल द्वारा तय कीमतों पर ही माल की खरीद करते हैं तथा उसे कोलकाता स्थित मिलों तक पहुंचा देते हैं।
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कोट :-
''इसमें कोई संदेह नहीं कि जूट अररिया जिले का प्रमुख कैश क्राप है। लेकिन इसकी कीमत सरकार द्वारा तय की जाती है। वे यहां जूट की वर्तमान स्थिति से सरकार को अवगत कराएंगे। जिले में जूट आधारित एग्रो इंडस्ट्री की स्थापना करने के प्रयास भी जरूरी हैं।''
एम सरवणन, जिलाधिकारी
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ग्राफिक्स :-
लागत व औसत उपज का ब्यौरा : (एक एकड़ के लिए)
1.जुताई चार चास - 2500 रु.
2.पानी- 1000 रु.
3.खाद-डीएपी : 1200 रु.
-यूरिया: 600 रु.
-पोटाश: 480 रु.
4. बीज चार किलो- 500 रु.
5. निकौनी- तीन बार
कुल 75 लेबर - 8250 रु.
6.यूरिया टाप ड्रेसिंग-600 रु.
7. कीटनाशक दवा- 250 रु.
8. कटनी-20 लेबर : 2220 रु.
9.ढुलाई व झड़नी : 2220 रु.
10.गोड़ाई- 550 रु.
11.धुलाई कुल उपज का आठवां हिस्सा- 2200 रु.
12. सुखौनी व बाजार ले जाने में लेबर 500 रु.
13.ढुलाई भाड़ा-300 रु.
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प्रति एकड़ कुल लागत 23170 रु.
औसत उपज 10 क्विंटल प्रति एकड़
वर्तमान बाजार भाव के अनुसार प्रति एकड़ उपज से कुल आय 18 से 20 हजार रुपये मात्र।

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