अररिया : पुलिस का अधिकांश समय चोर, डकैतों को पकड़ने के बजाए भूमि विवाद को सुलझाने में व्यतीत हो रहा है। तकरीबन सभी ओपी एवं थानों में भूमि विवाद के मामले प्रतिदिन पहुंच रहे हैं। इन मामलों को पुलिस किसी तरह सुलझा भी लेती है लेकिन कुछ ऐसे भी मामले हैं जो कानून व्यवस्था के नजरिये से नासूर बनते जा रहे हैं।
बीते सप्ताह ही सिमराहा थाना क्षेत्र के औराही गांव में भूमि कब्जों को लेकर बड़ी घटना घटते-घटते बची। हालांकि जिला एवं पुलिस प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए मामले को टाल दिया, लेकिन तीसरी बार के प्रयास से लोगों में आशंका फैल गयी है। बताया जाता है कि इस बार यदि आदिवासी जमीन कब्जा करने का प्रयास करते तो भू-मालिक एवं उनके समर्थक मरने-मारने के लिए तैयार थे। इससे पूर्व 2008 एवं 2009 में भी इस क्षेत्र के जमीन कब्जा करने का प्रयास किया गया था। इससे पूर्व वर्ष 09 में अररिया प्रखंड के रामपुर कोदरकट्टी गांव में राम-जानकी ठाकुरबाड़ी की 87 बीघा जमीन पर आदिवासियों ने रातोंरात घर बना लिया था। इसके विरोध में आसपास के गांव गोलबंद होने लगे। मामला पुलिस तक पहुंची, पुलिस अपनी सूझबूझ से आदिवासियों को समझा बुझाकर किसी तरह जमीन खाली कराया। बाद में जिला प्रशासन ने उक्त जमीन पर धारा 144 लगा दिया।
जबकि उक्त जमीन पर इस घटना से पूर्व भी आदिवासियों ने दो बार कब्जा करने का प्रयास किया था। हालांकि, इस जमीन पर भी मठ के महंत तारा दासिन ने औने-पौने भाव में जमीन को बेचने का प्रयास किया तो उसे जेल की हवा खानी पड़ी। लेकिन यह विवाद आज भी बरकरार है। हाल के वर्षों में इस तरह के विवाद आधा दर्जन बार घटित हो चुकी है। जिसमें जिले के नरपतगंज प्रखंडन्तर्गत अचरा-रानीगंज के काला बलुआ, फारबिसगंज के परवाहा एवं अन्य जगह शामिल है। इन जगहों पर आदिवासी बनाम गांववासी के बीच कई बार हिंसक झड़प, आगजनी, तोड़फोड़ की घटना घट चुकी है।
जमीन विवाद को लेकर प्रतिदिन घटित हो रही दो पक्षों के बीच मारपीट की घटना को छोड़ भी दे तो वर्ष 2011 में धारा 144 एवं 107 के तहत अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी के कोर्ट में 135 मामले दर्ज कराए गए है। इन मामलों में लगभग 85 मामलों का निष्पादन भी किया जा चुका है। लेकिन अररिया अनुमंडल में जमीन विवाद के सात ऐसे मामले उभर कर सामने आए हैं, जिसमें दो पक्षों में कभी भी कोई बड़ी घटना घट सकती है। ऐसे मामलों में डीएसपी मो. कासीम ने बताया कि प्रशासन काफी चौकस है और वे लोग प्रयास भी कर रहे हैं कि जल्द ही मामलों का निपटारा कर लिया जाए।
नेपाल सीमा क्षेत्र स्थित कुआड़ी ओपी की एक बीघा जमीन और उच्च विद्यालय के 13 एकड़ की जमीन को लेकर चार माह पूर्व ही एक पक्ष के लोगों में काफी हो हंगामा व तोड़फोड़ मचाया था। यहां तक कि उच्च विद्यालय के प्रधान शिक्षक कई दिन तक स्कूल भी नहीं पहुंच पाए थे। बीते काली पूजा के दिन ही जोकीहाट के टेकनीहाट मे मंदिर की 27 डीसमिल जमीन को लेकर दो समुदायों के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गयी थी। टकराव की स्थिति को देखते हुए कई लोग अपने घर द्वार छोड़ने के लिए तैयार हो गए थे। इस घटना में ग्रामीणों के हमले में एक सिपाही दिलीप कुमार यादव एवं एक पुअनि मो. सज्जाद को मारपीट कर घायल कर दिया था। ठीक ऐसी ही समस्या पलासी प्रखंड में काली मंदिर की जमीन को लेकर है। वर्ष 2002 में यह मामला सामने उभर कर आया था। वर्षो पूर्व रजी अहमद की 26 डीसमिल जमीन किसी रैयत के नाम सिकमी हो गया। रैयत ने उक्त जमीन मंदिर को दिया। रैयत के मरने के बाद जमीन धारक उस भूमि पर चढ़ने का प्रयास करने लगे तो दो पक्षों के बची टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गयी। इस मामले को लेकर आज भी पुलिस को काफी मशक्कत झेलना पर रहा है।
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