नरपतगंज (अररिया) : खाद के मूल्य में अप्रत्याशित वृद्धि तथा कृत्रिम किल्लत से किसान परेशान हैं।
प्रखंड क्षेत्र के किसान कभी बाढ़ तो कभी सुखाड़ का दंश झेलते रहे हैं। लेकिन इस बार खाद तथा बीजों की कीमत में हुई मनमानी वृद्धि की मार से वे टूटने लगे हैं। प्रखंड क्षेत्र के फुलकाहा, नरपतगंज, पिठौरा आदि सभी बाजारों में खाद दोगुनी कीमतें में बिक रहे हैं। वहीं पूरे प्रखंड क्षेत्र में लगभग 150 खाद की दुकानें हैं। जिसमें दर्जनों दुकानें अवैध तरीके से चलाये जा रहे हैं।
किसानों को उर्वरक उपलब्ध कराने के लिए विभाग कागजी कसरत जितनी भी कर ले लेकिन किसानों को कालाबाजारी के माध्यम से ही खाद खरीदना पड़ रहा है।
रबी का मौसम शुरू होते ही बाजारों में खाद की कमी साफ दिखने लगी है। खाद के बढ़े कीमत से किसानों को हौसला पस्त नजर आ रहे हैं।
मिली जानकारी के अनुसार गत वर्ष डीएपी पारस लगभग 700 रुपया प्रति बैग यूरिया 300 रुपया प्रति बैग तथा पोटास 250 रुपया प्रति बैग मिल जाती थी। जबकि अभी बाजारों में डीएपी पारस 1100 रुपया प्रति बैग, यूरिया 450 रुपया प्रति बैग तथा पोटास 600 रुपया प्रति बैग, जिंक 60 रुपया प्रति किलो एवं बोरी 120 रुपया प्रति किलो के हिसाब से खरीदना पड़ता है। इसके अलावा बीज तथा कीटनाशक दवाइयों के दामों में भी बेताहाशा वृद्धि हुई है। खाद बीज के बढ़े दाम व मजदूरी की वृद्धि किसानों के लिए समस्या बन गई है। जबकि क्षेत्र के कई किसान अब कृषि कार्य छोड़ने का मन बना रहे हैं। जबकि
प्रखंड क्षेत्र के नरपतगंज फुलकाहा समेत कई बाजारों के दर्जनों व्यापारी पूर्व से ही हजारों बोरे खाद की जमाखोरी कर चुके है। मधुरा उत्तर के किसान विमल कुमार राय, जय ना. यादव, अशोक राय, किशोर कुमार, गयानंद सिंह, मो. इसमाइल, मो. दिलसाद, नारायण मंडल आदि ने बताया कि सरकार द्वारा खाद एवं बीज के मूल्य वृद्धि पर कोई लगाम नही लगाया जाता है। जैसे ही फसल बोआई का समय आता है। इनकी कीमत के साथ कालाबाजारी बढ़ जाती है। किसानों ने बताया कि खाद की कृत्रिम संकट पैदा कर किसानों से मनमना दाम वसूला जाता है।
इधर, प्रखंड कृषि पदाधिकारी राम प्रवेश यादव ने खाद की कालाबाजारी के आरोप को निराधार बताया है।
0 comments:
Post a Comment