सिकटी (अररिया) : आजादी के पैसठ वर्ष बीत जाने के बाद भी प्रखंड के पड़रिया पंचायत स्थित कचना मनीर टोला में आज तक एक अदद सड़क नही है। नदियों की भार से त्रस्त इस गांव के हजारों की आबादी आज भी बांस की चचरी एवं बिजली के खंभे के सहारे आवागमन को विवश है।
बताते चले कि करीब एक हजार आबादी वाला यह गांव नूना नदी के कहर से करीब सालों भर पानी से घिरा टापूनूमा शक्ल ले रखा है। गांव के दोनों तरफ निकलने वाली सड़क कटिंग में अभी भी पानी जमा है जिस पर बांस की चचरी एवं बिजली के खंभे के सहारे लोग गांव आते जाते है। जबकि बरसात के दिनों में तो पानी का सैलाव ही देखने को नजर आता है। गांव के ही इलताफ अंसारी के मुताबिक अगर कोई बीमार पड़ जाय तो उन्हें अस्पताल ले जाने के बजाय उपर वाले के भरोसे ही इलाज ग्रामीण डाक्टरों से कराया जाता है क्योंकि गांव से बैलगाड़ी तक नही निकल सकती है। उत्तर और दक्षिण की ओर निकलने वाले मुख्य रास्ते के कटिंग में अब भी गर्दन तक पानी भरा हुआ है। दैनिक उपयोग के लिए लोग किसी तरह चचरी पर पार उतरकर बाहर से सामान लाते है। गांव को देखकर ऐसा लगता है कि आजादी के सातवें दशक में भी यहां के लोग स्थानीय प्रशासनिक एवं जनतांत्रिक व्यवस्था के गुलाम बनकर जीवन यापन कर रहे है। अब तक इनकी सुधि लेने वाला कोई नही है।
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