अररिया : सरकारी निर्देश के अनुसार साल में कम से कम दो बार जिला प्रशासन अतिक्रमण अभियान चलाता है। इस अभियान में एक हजार से अधिक फुटपाथी दुकानदार एक झटके में रोजगार से हाथ धो बैठते हैं। दर्जनों ऐसे लोग भी होते हैं, जिन्हें रोजगार के अभाव में अन्न के लाले पड़ जाते हैं। यह अलग बात है कि अभियान का असर महज दो से तीन दिन हीं रहता है और सभी दुकानदार सड़कों पर पुन: अपनी दुकान सजा लेते हैं। तीन से चार दिनों तक चलने वाली इस अभियान में लाखों रुपये खर्च भी की जाती है, लेकिन बारंबार अतिक्रमण हटाओ अभियान के शिकार हो रहे इन दुकानदारों को स्थायी रूप से बसाने के लिए नप या जिला प्रशासन द्वारा कोई ठोस पहल नही हो पायी है। इसका नतीजा है कि शहर की अधिकांश सड़कों पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा है।
सड़क को अतिक्रमणकारियों के कब्जे से स्थायी रूप से मुक्त कराने के लिए करीब पांच वर्ष पूर्व तत्कालीन जिला पदाधिकारी ने हरियाली मार्केट के निर्माण की आधार शिला रखी थी। चांदनी चौक से पूरब जाने वाली हटिया रोड में नदी किनारे फुटपाथी दुकानदारों को बसाने के लिए चार लाख की अधिक की राशि से मिट्टी भरायी गयी थी। करीब एक माह तक तमाम सब्जी दुकानदारों ने उक्त स्थानों अपनी अपनी दुकानें भी लगानी भी शुरू कर दिए, लेकिन चारो ओर अव्यवस्था और भय के माहौल से वहां कोई भी दुकानदार टिक नही पाया। नतीजा सभी दुकानदार कुछ हीं दिन बाद फिर सड़क पर आ गये।
सब्जी विक्रेता मोती गुप्ता, राकेश गुप्ता आदि ने बताया प्रशासन कानून का भय दिखा कर उन्हें बेरोजगार तो कर देता है, लेकिन घोषणाओं के अनुरूप उनलोगों को किसी प्रकार की सुविधा उपलब्ध नही करायी जाती है। इन लोगों का यह भी कहना है कि उनलोगों को नदी किनारे जाने में कोई एतराज नही है, लेकिन शहर का लाभ तो उन्हें मिलना चाहिये।
वहीं विभाग से मिली जानकारी के अनुसार हरियाली मार्केट बनाने के नगर विकास विभाग पटना के पास प्रस्ताव तैयार कर भेजा गया है। प्रस्तावित योजना के तहत मॉल बनाने के लिए 17 करोड़ की लागत आने वाली है। विभाग से राशि का आवंटन मिलते ही फुटपाथी दुकानदारों का स्थायी समाधान हो जायेगा, लेकिन यह योजना कब तक जमीन पर लागू होगी इसे बताने को कोई भी तैयार नहीं है।
0 comments:
Post a Comment