Sunday, December 26, 2010

महंगाई की मार, उपभोक्ता मुर्गा खरीदे या लहसुन-प्याज

फारबिसगंज (अररिया) : आसमान छूती महंगाई के बीच प्याज के आंसू रो रहे आम लोगों को शुक्रवार को थोड़ी राहत और मिली। प्याज की कीमत 45-50 रु. किलो नीचे पहुंच गया। हालांकि आम उपभोक्ता अभी भी प्याज की उंची कीमत से त्रस्त है। जिला के मुख्य थोक मंडी में प्याज की कीमत शुक्रवार को तीस रुपये नीचे तक पहुंचा। पिछले करीब पखवारे से प्याज की कीमत खुदरा बाजार में 70-75 रु. किलो तक बिक रहा था। पिछले वर्ष से कीमत की तुलना करे तो एक वार पूर्ण इसी माह प्याज 20 रुपए किलो थोक भाव तथा करीब 27-30 रु. किलो खुदरा दुकानों में थी। इसी तरह लहसुन भी उपभोक्ताओं को मुंह चिढ़ा रहा है। वर्तमान मे लहसून 175-220 रु. किलो खुदरा भाव में बिक रहा है। लहसुन की यह कीमत पिछले एक पखवारे से कायम है। पिछले वर्ष यही लहसुन आम लोगों के लिये करीब 50-60 रु. किलो तक की कीमत पर दुकानों में उपलब्ध था। इसी प्रकार अदरक वर्तमान में 60 रु. किलो बिक रहा है। जबकि पिछले वर्ष इसकी कीमत 40 रु. किलो था। करीब 25-30 रुपए किलो बिकने वाले मटर और टमाटर की कीमतों में पिछले वर्ष की कीमत से अधिक अंतर नही है। इतनी महंगी नियमित उपयोग में लाई जाने वाली सब्जियों ने स्वाद का जायका तो बिगाड़ा ही है। मांस-मछली को भी मध्य वर्गीय अभीकर्ताओं ने फिलहाल थाली से दूर कर रखा है। आम अभीकर्ता आखिरकार मुर्गा खरीदें कि प्याज-लहसुन। सब्जियों की उपरोक्त कीमतें इलाकाई बाजारों में भी लगभग समान है। एक-दो रुपये की बढ़ोतरी दूर-दराज के बाजारों में है। पूर्णिया के बाद फारबिसगंज की मंडी क्षेत्र की सबसे बड़ी मंडी मानी जाती है। फारबिसगंज कृषि बाजार समिति प्रांगण स्थित मंडी से वर्तमान में प्याज की करीब दस लाख रुपए का कारोबार हो रहा है। अर्थात दो ट्रक प्याज की खपत की आपूर्ति यहां से की जाती है। अमूमन मांग और आपूर्ति में यहां अधिक आम उपभोक्ताओं के लिए कमर तोड़ महंगाई का कोई विकल्प नही है।

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