Wednesday, December 29, 2010

शिक्षक नियोजन स्थगित होने से उठने लगे सवाल

अररिया : मानव संसाधन विकास विभाग द्वारा शिक्षक नियोजन पर ग्रहण लगा देने के बाद यह सवाल उठने लगा है कि कागजातों का सत्यापन आखिरकार क्यों नहीं कराया गया। जबकि विभाग के द्वारा कई बार निर्देश जारी किया जा चुका था। इसके बावजूद प्रखंड, पंचायत एवं नगर निकाय के शिक्षक नियोजन समिति के कानों पर जू तक नहीं रेंगी। सिर्फ नियोजन समिति ही निर्देशों का उल्लघंन नहीं किया, बल्कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने भी खूब धज्जियां उड़ाई। विभाग द्वारा 24 दिसंबर को जारी पत्र के मुताबिक संभवत: शेष तमाम नियोजनों पर रोक लग चुकी है। लेकिन उसमें तकनीकी विषयों पर गौर किया जाये तो कुछेक स्थानों पर नियोजन जरूर होगा।
अब सवाल यह भी उठ रहा है कि अभ्यर्थियों के कागजातों के सत्यापन के लिए जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय में कोषांग कार्यरत था। उसमें कई शिक्षक को भी प्रतिनियुक्त किया गया था। लेकिन सत्यापन कराने में काफी ढिलाई बरती गयी। नाम नहीं छापने के शर्त पर कुछ शिक्षक व डीएसई कार्यालय के कर्मियों की माने तो सत्यापन के लिए कागजात तो बोरे में बंद कर अधिकारी पटना जरूर ले जाने थे प र वो कागजातों का बोरा या तो ट्रेन से बाहर गिरा दिया गया था या फिर गंगा में प्रवाहित किया गया।
सूत्रों के अनुसार अररिया प्रखंड का कागजात नरपतगंज बीईओ के माध्यम से पटना गया। लेकिन दिलचस्प पहलू यह है कि अररिया प्रखंड के अभ्यर्थियों का कागजात भी सत्यापन नहीं हुआ।
इधर, विभाग द्वारा जारी पत्रांक 1557 में दिये गये दिये गये तथ्यों पर गौर करें तो यह साफ जाहिर हो रहा है कि जिले के कई बीईओ पर गाज गिर सकती है। चर्चा यह भी है कि जहां बिना कागजात सत्यापन के नियोजन पत्र बांटा गया है उसे भी अवैध माना जा रहा है। इसके अनुसार तकरीबन पूरे जिले में द्वितीय चरण के शिक्षक नियोजन की प्रक्रिया अधर में लटक गयी है।
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विभागीय आदेश से उड़ गये जनप्रतिनिधियों के होश
अररिया,संसू: द्वितीय चरण शिक्षक नियोजन 2008 के दूसरे चरण के बहाली पर विभागीय रोक लगने संबंधी आदेश प्राप्त होने के बाद पंचायत जनप्रतिनिधियों के होश उड़ गये हैं। पंचायत चुनाव की सुगबुगाहट के बीच उनके वोट बैंक सुधारने के मंसूबों पर पानी फिर गया। 115 पंचायतों के मुखिया व भरगामा प्रखंड प्रमुख को तो पहले ही झटका लगा अब नये आदेश आने के बाद तो 150 से अधिक मुखिया व आधा दर्जन प्रमुख को भी होश उड़ गये हैं। डीएसई कार्यालय को भी होश उड़ गये हैं। डीएसई कार्यालय एवं बीईओ कार्यालय में पंचायत जनप्रतिनिधियों की भीड़ जमा होने से लगी है। सभी जुगाड़ मं है कि किसी तरह मेरे पंचायत का नियोजन हो जाये। जिससे कई तरह के लाभ होने की उम्मीद है। लेकिन वैसे पंचायत जहां नियोजन प्रक्रिया पर रोक लगायी गयी है के नाम उजागर होने के बाद अभ्यर्थियों में भी असमंजस की स्थिति बन गयी है।

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