भरगामा (अररिया): राज्य में बह रही विकास की बयार में कई सपने साकार होते दिख रहे हैं। लेकिन इस प्रखंड के महादलित विकास से अब भी कोसों दूर हैं।
यह सच है कि महादलित समुदाय के लोगों को विकास की मुख्य धारा में लाने के लिए कई प्रयास हो रहे हैं। लेकिन प्रखंड क्षेत्र के डोम समुदाय के लोग शिक्षा व सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के लाभ से वंचित हैं। जनप्रतिनिधियों व प्रशासन से तिरस्कृत ये महादलित अब भी अपने पूर्वजों के धंधे सुअर पालन, सूप एवं टोकरी बनाने में ही व्यस्त रहते हैं। जबकि अन्य सभी समुदाय के बच्चे पठन-पाठन हेतु विद्यालय जाते है, मगर डोम समुदाय के बच्चे सुअर चराने या घरेलू अन्य कार्य करते रहते है। इन समुदाय के महिलाओं के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही शिक्षा हेतु उत्थान केन्द्र, प्रयास केन्द्र, अक्षर आंचल आदि अन्य प्रयास लागू नही हो पा रही है। महिलाएं अक्सर सूप टोकरी बनाने में व्यस्त रहती है।
प्रखंड अंतर्गत डोम समुदाय के लोगों की कुल आबादी लगभग पांच हजार के करीब हैं। ये महथावा, सिमरबनी, चरैया, खजुरी, गोविंदपुर भरगामा, धनेश्वरी आदि गांवों में सड़क किनारे व गांव से दूर गंदे आवासों में रहते हैं। महथावा निवासी चन्देश्वरी मल्लिक का कहना है पांच वर्ष पूर्व स्थानीय मुखिया द्वारा दस हजार रुपया इंदिरा आवास के नाम पर मिला। उसके बाद किसी भी प्रकार की योजना हमसबों को नही मिल पाई है। महेन्दू मल्लिक बताते हैं कि अनाज भी छह महीने में एक बार मिलता है। मोसोमात मलिया देवी कहती है दस बरस से मैं विधवा हूं। मुझे विधवा पेंशन का लाभ नही मिल पाया है। सुगीया देवी कहती है 'हमसब के कोई पढ़ावे लै ने आवै छै'। महथावा की किरण कुमारी पिता चन्देश्वरी मल्लिक बताती है वर्ष 2008 में शादी हुई। आजतक कन्या विवाह योजना का लाभ नही मिल पाया है। बोकू मल्लिक बोल नही सकते। उनके अभिभावक का कहना है कि बगल के विद्यालय जाने पर उपेक्षित महसूस करने को लेकर पढ़ना छोड़ दिया। राहुल कुमार पिता सुनील मल्लिक, मनीष कुमार पिता अनिल मल्लिक, पूजा कुमारी, पिता महेन्दू मल्लिक का कहना है बच्चे स्कूल जाना चाहते हैं मगर किसी भी प्रकार का शिक्षकों द्वारा ध्यान नही देने को लेकर स्कूल भेजना हम सभी लोग बंद कर दिये हैं। महथावा की उर्मिला देवी, कौशल्या देवी, मंजू देवी, कंचन देवी व परमीला देवी बताती हैं हम सभी को पढ़ाने कोई नही आता है।
इस संबंध में प्रखड विकास पदाधिकारी अरुण कुमार गुप्ता बताते हैं कि वे अतिशीघ्र पंचायत सेवक को मल्लिक बस्ती भेजवाकर मामले का समाधान करेंगे।
राजकीय मवि महथावा के प्रधानाध्यापक शोभा कांत झा का कहना है दीपक मल्लिक, बोकू मल्लिक आदि विद्यालय में नामांकित हैं। मगर बार-बार कहने पर भी विद्यालय नही आते हैं। विद्यालय आने के बाद ही उन्हें कोई लाभ मिल सकता है।
अक्षर आंचल अक्षर दूत बबिता कुमारी का कहना महथाबा डोम समुदाय की महिलाओं को कई बार पढ़ाने की कोशिश किये। मगर महिलाएं पढ़ना नही चाहती है।
वहीं, प्रखंड शिक्षा पदा. राधेय सिंह का कहना है कि डोम समुदाय के बच्चे विद्यालय जायेंगे तब तो उन्हें कोई लाभ मिलेगा। इस तरह की शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जायेगी।