Saturday, February 11, 2012

स्वच्छ पर्यावरण को ले मन की शुद्धता जरूरी: विश्वंभरा

फारबिसगंज(अररिया) : दिव्य ज्योति जागृति संस्था के तत्वावधान में गोढि़यारी रोड फारबिसगंज में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के नौवें दिन सुश्री विश्वम्भरा भारती जी ने कहा कि समाज मानव मन की अभिव्यक्ति है। जब जब संतों के आदर्शो का परित्याग करते हुए मानव भोग वासना की ओर प्रवृत हुआ तब समाज रूपी यमुना विषाक्त होती है। जरूरत मन को प्रदूषण से मुक्त करने की है। जब मन का प्रदुषण समाप्त होगा तब बाहरी पर्यावरण स्वत: ही स्वच्छ हो जायेगा। इसके लिए जरूरत है ब्रह्मा ज्ञान की जो मानसिक शुद्धता का सशक्त साधन है। हमें आवश्यकताओं और लालसाओं में भेद करना होगा। जितनी लालसायें बढ़ेगी उतना ही प्रकृति का दोहन होगा। उन्होंने कहा कि यदि हमें एक स्वच्छ व सुंदर समाज का निर्माण करना है तो भारतीय संस्कृति जीवन दृष्टि को पुनर्जीवित करना होगा और उसे सक्रिय रूप से लागू करना होगा। इसी भारत भूमि के संतों ने हमे चेताया कि भूमि के सुखों को भोगें तो सही परंतु त्यागपूर्वक। यदि त्यागपूर्वक नहीं भोगेंगे तो भोगने की क्षमता और साम‌र्थ्य नहीं रहेगा। संतों के बताये मार्ग पर चलकर हम पृथ्वी को रसातल के मार्ग पर भेजने से बचा सकेंगे। सुश्री साध्वी जी ने कहा कि आज का आधुनिक मानव जिस गति से पर्यावरण का शोषण कर रहा है उसके परिणाम स्वरूप आने वाले कुछ समय में पृथ्वी पर न तो पीने के लिए स्वच्छ जल बचेगा और न ही सांस लेने के लिए स्वच्छ वायु। पृथ्वी के हाहाकार से प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली क्षति का स्तर भी बढ़ जायेगा। इसलिए यदि समय रहते इस दिशा में पर्याप्त कदम नहीं उठाये गये तो मानव अपने भविष्य के लिए स्वयं जिम्मेवार होगा। वर्तमान समय में यदि कोई आपदा मानव जीवन को खत्म करने का प्रयत्‍‌न कर रही है तो वह है पर्यावरण में बढ़ रहा प्रदुषण। इसमें तेजी से हो रही बढ़ोत्तरी के कारण पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है व समुद्र के पानी का स्तर ऊपर उठता जा रहा है। यदि यह ऐसे ही चलता रहा तो एक दिन पृथ्वी के अस्तित्व को खतरा हो जायेगा। हमारे पर्यावरण में पूरी तरह से जहर घुल चुका है। इसका जिम्मेवार स्वयं मानव ही है। जिसकी विकासवादी सोच आज मानव जाति के लिए घातक सिद्ध हो रही है। इसी सोच के कारण ही मानव प्रकृति के प्रति अपने कर्तव्यों को भूलता जा रहा है। उन्होने कहा कि 19 वीं सदी तक प्रदुषण नाम की समस्या से लोग अनभिज्ञ थे उन्होंने कहा कि ग्लोबल वार्मिग बढ़ने के कारण सूर्य की भयानक किरणों से हमारा बचाव करने वाली ओजोन परत में भी छ्रिद्र हो चुका है। जिस कारण आज मानव भयानक बीमारियों से ग्रसित है। यदि इस प्रदुषण को न रोका गया तो वर्ष 2054 तक हमारी सुरक्षा कवच ओजोन परत पूरी तरह से नष्ट हो जायेगी। आज की कथा में पर्यावरण जागरूकता संबंधी एक विशेष स्टाल लगाया गया व आये हुए भक्त श्रद्धालु गणों को पौधे वितरित किये गये। श्रीमद भागवत कथा में भगवान श्रीकृष्ण की नटखट व भाव विभोर करने वाली लीलाओं को कथा प्रसंग व मधुर संकीर्तन के माध्यम से श्रवण कर भक्त श्रद्धालुगण मंत्र मुग्ध हो गये।

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