Thursday, February 9, 2012

बोतल से बाहर आने लगा डेहटी पैक्स का जिन्न


अररिया : करोड़ों रुपयों के डेहटी पैक्स घोटाले का जिन्न अब बोतल से बाहर आ गया है। काम बताइए नहीं तो मालिक को ही खायेगा। सरकार ने अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया है अब बारी उन सफेदपोशों की है जो पर्दे के पीछे से मलाई खाते रहे हैं।
इस घोटाले में अब तक 26.49 करोड़ के गबन की बात साबित हो चुकी है। हालांकि जानकार यह मानते हैं कि घोटाला इससे लगभग दूनी राशि का है। घोटाले की शुरूआत वर्ष 2004-05 से शुरू की बतायी जाती है। अगर इस राशि का गबन नहीं होता तो लगभग 12 हजार बेघरों को पक्के आवास उपलब्ध हो जाते। लेकिन घोटालेबाजों ने सरकार की इस महत्वपूर्ण योजना को धरातल पर साकार नहीं होने दिया। एक दर्जन से अधिक सरकारी अधिकारी व कर्मचारी इसमें संलिप्त पाये गये। इनमें से सात को आखिरकार सरकार ने नौकरी से निकाल दिया है। इनमें सुरेंद्र राय, रमेश झा, अशोक कुमार तिवारी, परवेज उल्लाह, गयानंद यादव, शमीम अख्तर तथा राम निरंजन चौधरी शामिल हैं। एक को छोड़कर सभी पलासी प्रखंड में पदस्थापित थे। दो कर्मचारी भी बर्खास्त हो चुके हैं। नौ कर्मचारियों को निलंबित किया गया है। हालांकि इनमें से कुछ को वेतनवृद्धि काटकर निलंबन मुक्त भी कर दिया गया है। पैक्स के प्रबंधक रुद्रानंद झा भी फिलहाल जेल में हैं।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि पैक्स में राशि रखने के आरोपी बीडीओ को तो बर्खास्त कर दिया गया, लेकिन उनके खिलाफ अब तक गिरफ्तारी या बर्खास्तगी या फिर निलंबन ही की कार्रवाई क्यों नहीं की गयी, जिनके आदेश पर बीडीओ ने पैक्स में पैसा रखा था? आखिर किनके हुकुम पर बीडीओ ने पैसा पैक्स में रखा था? लेकिन इससे भी बड़ा सवाल यह कि पैक्स में जमा किए गए करोड़ों रुपये किनकी जेब में गये? शायद पुलिस को इस सवाल का जवाब अभी खोजना है, लेकिन जानकार मानते हैं कि इस घोटाले में कई सफेदपोश भी संलिप्त रहे हैं। अब उन्हीं की बारी है।
इधर, एसपी शिवदीप लांडे का कहना है कि घोटालेबाज चाहे कोई भी क्यों न हो उसे छोड़ा नहीं जायेगा।
सूत्रों की मानें तो सरकारी योजनाओं का करोड़ों रुपया पहले तो पैक्स में जमा किया गया और फिर कथित रूप से उसका दुरुपयोग कर लिया गया। पैक्स की ओर से पैसा जमा करने वाले प्रखंडों को बाकायदा चेक बुक निर्गत किए गये। प्रखंडों ने लाभुक के नाम से चेक भी काटा, लेकिन जब लाभुक वे चेक लेकर पैक्स में पहुंचे तो वहां पैसा ही नहीं मिला।
सरकार के इस कदम के बाद ठंडे बस्ते में पड़े कुछ अन्य घोटालों की चर्चा भी बुधवार को शहर में आम रही। इन घोटालों में हाई मास्ट लाइट घोटाला, परिवार नियोजन घोटाला, कृषि यंत्र घोटाला, फर्जी दस्तावेज के आधार पर केसीसी घोटाले के अलावा इंदिरा आवास घोटाला प्रमुख हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि घोटालों व विकासहीनता के बीच जीवन गुजारना ही अररिया के लोगों की नियति बन गयी है। हालांकि पुलिस व सरकार के हालिया कदम से आम लोगों के बीच उम्मीद की किरण जरूर जगी है।

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