नरपतगंज (अररिया) : प्रखंड क्षेत्र में संचालित मनरेगा योजना का लाभ मजदूरों को नही मिल पा रहा है। आरोप है कि यह योजना लूट खसोट बनकर रह गई है। मजदूरों के पलायन को रोकने के उद्देश्य तथा ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के उद्देश्य से केन्द्र सरकार ने प्रखंड एवं पंचायत को संचालन करने का जिम्मा दिया, लेकिन पंचायत प्रतिनिधियों व मनरेगा कर्मियों की उदासीनता के कारण सबको रोजगार देने का सरकारी उद्देश्य पूरा नही हो रहा है।
प्रवधान के मुताबिक इस योजना का समुचित कार्य मजदूरों के द्वारा होना चाहिए लेकिन अभिकत्र्ताओं ने मिट्टी कटाई का काम मजदूरों से न कराकर जेवीसी से करवाकर मजदूरों के हक को मारते है। वहीं मिट्टी ढुलाई का काम भी ट्रैक्टरों के द्वारा करवाया जाता है। इतना ही नही मजदूरों का फर्जी कार्य दिवस दिखलाकर उसका भुगतान भी करा लिया जाता है।
मनरेगा योजना में मजदूरों को सौ दिनों का काम देने की योजना प्रखंड क्षेत्र में विफल साबित दिख रही है। विदित हो कि मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराकर उनके पलायन को रोकने का एक योजना मनरेगा योजना था। वहीं भी योजना मजदूरों के पलायन को रोकने में कामयाब नहीं साबित हुआ। मजदूरों को मजदूरी का भुगतान भी सही समय पर नही हो पाता है।
काम नहीं मिलने के कारण मजदूर प्रतिदिन गांव से शहर की ओर पलायन कर रहे है। प्रखंड क्षेत्र के ही रेवाही गांव के भजनपुर मो. हसीब ने बताया कि आज के महंगाई के समय गांव में कार्य करने से गुजर नही चलेगा। घर में एक चार बच्चे है। इसलिए काम करने पंजाब जाना ही पड़ेगा। पिठौरा पंचायत के रामानंद यादव ने जाब कार्ड बनने के संबंध में पूछे जाने पर बताया कि जाब कार्ड तो बना है पर चार महीनों से कोई काम नही मिला, उधर काम भी किये थे लगभग 40 दिन जिसमें 15 दिन का रुपया मिला और सारा रुपया आजतक नही मिला है। इस संबंध में मनरेगा के परियोजना पदाधिकारी रविन्द्र तांती से बताया कि मामले की जांच कर कार्रवाई की जायेगी।
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