अररिया : नेपाल के रास्ते चीन से आने वाले सेब की तस्करी ने खूबसूरत कश्मीरी व अमेरिकन डेलीसस सेब को मार्केट से आउट कर दिया है। पहले जिले के सीमावर्ती शहर बाजारों तक ही सिमटे चायनीज सेब का राज अब फल की तकरीबन सभी दुकानों में है।
विगत सर्दियों के बाद जिले के फ्रूट शाप से सेब की 'खूबसूरती' गायब हो गयी है और तस्करी के माध्यम से बरास्ता नेपाल भारत आ रहे चायनीज सेब ने अपना अधिपत्य जमा लिया है। जानकारों के मुताबिक यह सेब चीन के गार्डेन से हिमालय के खासा व तातोपानी बार्डर से पहले नेपाल फिर वहां से नायलोन के कवर व प्लास्टिक की चिप्पी लगा कर भारत के बाजारों में भेज दिया जाता है। चायनीज सेब न तो अमेरिकन डेलीसस की तरह स्वादिष्ट है और न ही कश्मीरी सेब की तरह सुंदर, बस चायनीज सेब को पहाड़ी नासपाती की इंप्रूव्ड वेरायटी समझ लीजिए। जानकारों की मानें तो चायनीज सेब न्यूट्रीशनल वैल्यू में भी काफी कमजोर है। इस फल से पोषक तत्व गायब हैं।
भाव के मामले में चायनीज सेब अपने आकार की तरह ही जबर्दस्त है। अररिया के बाजारों में इन दिनों सेब की कीमत नब्बे रुपये से शुरू होकर 130 रुपये प्रति किलो तक है। इतना ही नहीं, उपभोक्ताओं की मानें तो टिकाउपन के मामले में चायनीज सेब कमजोर है। घर में अगर फ्रिज न हो तो दो से तीन दिन में फल खराब हो जाता है।