Thursday, February 23, 2012

रेल विकास एवं सुविधाओं से वंचित सीमांचल


फारबिसगंज(अररिया) : जहां तक रेलवे की विकास एवं यात्री सुविधाओं की बात है तो सीमावर्ती क्षेत्र का कटिहार जोगबनी रेलखंड हमेशा से उपेक्षित रहा है। काफी जद्दोजहद के पश्चात इस रेलखंड के आमान परिवर्तन की बात यदि छोड़ दी जाए तो विगत कई रेल बजटों में इस क्षेत्र के साथ सौतेला व्यवहार होता आया है। बड़ी रेल लाइन को चालू हुए चार वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बावजूद भी जोगबनी से लंबी दूरी की ट्रेन के नाम पर सिर्फ सीमांचल एक्सप्रेस और चितपुर एक्सप्रेस ही चलायी जा सकी है।
उसी तरह आमान परिवर्तन के नाम पर फारबिसगंज सहरसा रेलखंड पर आनन फानन में मेगा ब्लाक लागू करना भी लोगों के समझ से परे है। जबकि जानकार बताते हैं कि मेगा ब्लाक उसी समय किया जाता है जब सिर्फ पटरी बिछानी होती है। जबकि उक्त खंड पर अभी भी कई किमी. अर्थ वर्क एवं पुल पुलिया निर्माण के कार्य बाकी पड़े हैं। दरअसल कटिहार जोगबनी बड़ी रेल लाइन के निर्माण से लेकर अब तक घोषणाएं तो खूब हुई, लेकिन उन्हें अमलीजामा नहीं पहनाया गया।
2.फारबिसगंज रेलवे प्लेटफार्म में यात्री शेड का विस्तार, बथनाहा में एफओबी का निर्माण, आम्रपाली और इंटरसिटी एक्सप्रेस का जोगबनी तक विस्तार जैसी घोषणाएं एनएफ रेलवे के तत्कालीन वरीय पदाधिकारियों द्वारा अक्सर किया जाता रहा जो कि आज भी अपूर्ण है। फलस्वरूप क्षेत्र के लोगों को आगामी रेल बजट के प्रति कोई खास उत्साह नहीं नहीं आता। क्योंकि उन्हें लगता है कि विगत बजटों की भांति इस बार भी यह क्षेत्र वंचित ही रहेगा। हां उन्हें इस बात की दिलचस्पी जरूर होगी कि दरभंगा फारबिसगंज खंड के निर्माणाधीन रेल लाइन का कार्य अब संपन्न होगा।
3. अररिया से गलगलिया रेल लाइन का कार्य स्वीकृति के बावजूद अब तक शुरू नहीं हो पाया है। इस लाइन के किशनगंज क्षेत्र में मेची नदी पर रेल पुल का निर्माण भी अधूरा पड़ा है।
4. इसी तरह तत्कालीन रेल मंत्री लालू यादव ने रानीगंज में अररिया सुपौल वाया त्रिवेणीगंज रेल लाइन का शिलान्यास किया था। लेकिन बात शिलान्यास से आगे नहीं बढ़ी।

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