Monday, December 27, 2010

आरंभिक ज्ञान जीवन और मौत की कला सिखाती है: राधेय

फारबिसगंज (अररिया) : आरंभिक ज्ञान जीवन और मौत की कला सिखाती है। हरि स्मृति सम्पत्ति, हरि विस्मृति विपत्ति का कारण बनता है। जिसके सिर पर भागवत या रामायण मौत के समय ही उसकी मृत्यु मंगलमय है उसको जीवन मंगलमय है। उपरोक्त बाते रविवार को श्रीमद भागवत कथा प्रवचन के दौरान सरल संत श्री नारायण दास जी महाराज राधेय ने कही। भागवत कथा के तीसरे दिन भारी संख्या में कथा स्थल स्थानीय रेफरल अस्पताल रोड में धर्म प्रेमियों की उपस्थिति रही। आठ दिवसीय उक्त कार्यक्रम में मथुरा से पधारे श्री राधेय एवं उनके सहयोगी अमरदीप बाबा, रंजीत बाबा, दास बाबा, चंदन बाबा द्वारा श्रीमद भागवत कथा, राम कथा, शिव कथा, आसन प्रणायाम, ध्यान योग के माध्यम से श्रद्धालुओं को लाभांवित किया जा रहा है। रोजाना सुबह ध्यान योग आसन प्राणायाम तथा शोभा यात्रा द्वारा कार्यक्रम की शुरूआत किये जाने की बात आयोजक रानी कुमारी तथा प्रताप मंडल ने दी है। कहा कि आगामी 01 जनवरी को भक्ति बाजार का आयोजन भव्य रूप से किया जायेगा। 24 दिसंबर से जारी उक्त कार्यक्रम में लाभ जी, गौरी शंकर मंडल, प्रो. च्योतिष चंद्र, संजय झा, अनिल यादव सहित ग्रामीण अपना भरपुर योगदान प्रदान कर रहे है। वही बड़ी संख्या में महिलाएं सुनने के लिए आ रही है।

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