Thursday, December 30, 2010

बैंककर्मियों में बढ़ रहा असुरक्षा का माहौल

अररिया : बैंकों की लगातार बढ़ रही भूमिका के बावजूद बैंकों की सुरक्षा व्यवस्था अभी तक ठोस नहीं की जा सकी है। जिससे बैंक कर्मियों को अक्सर असुरक्षा के माहौल में कार्य करना पड़ता है।
जिला मुख्यालय से लेकर सूदूर ग्रामीण क्षेत्रों तक राष्ट्रीयकृत व गैर सरकारी बैंकों की कई शाखायें खुल गई हैं। एक ओर बैंकिंग कारोबार के बढ़ते रफ्तार के कारण बैंकों में भीड़ बढ़ गई है। उधर केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा चलायी गयी विभिन्न योजनाओं का सीधा लाभ लोगों तक पहुंचाने में भी बैंक एक कड़ी बन गयी है। लेकिन इन बैंकों की सुरक्षा सामान्य तौर पर चौकीदार व होमगार्ड के जिम्मे ही सौंप दी गई है। जबकि अपराधकर्मियों के निशाने पर बैंक व बैंककर्मी पूर्व से ही रहे हैं। चन्द्रदेई, रूपैली, उफरैल, रानीगंज, विक्टोरिया आदि बैंकों की घटनाएं अभी पुरानी नहीं हुई हैं। वहीं बैंकों में योजनाओं का पैसा जमा होने के कारण बिचौलिया किस्म के लोग भी यहां सक्रिय हो गये हैं। जो अपना निजी स्वास्थ्य पूर्ति नहीं होने पर बैंक कर्मियों को सीधा निशाना बना रहे हैं तथा उन्हें साजिश का शिकार बना रहे हैं। बिचौलिये साजिश के तहत निरक्षर व गरीब लोगों से सांठ-गांठ कर बैंक कर्मियों के विरुद्ध अदालत में मामला दर्ज कराने से लेकर प्रशासन के पास मनगढ़त शिकायतें तक पहुंचाने की धमकी देते हैं। अदालत में लंबित कई ऐसे मामले हैं, जिसमें दलालों की सह पर खाता धारियों ने बैंक कर्मी के विरुद्ध मामला तो दायर कर दिया, परंतु अधिकतर मामले फैसले के पूर्व ही खारिज हो गये हैं। बैंककर्मियों का आर्थिक शोषण भी किया जा रहा है। ऐसे माहौल के कारण बैंककर्मियों के बीच दहशत का माहौल फैल गया है।
ऐसी परिस्थिति में क्या बैंक कर्मी बैकिंग कार्य व्यवस्था को सही ढंग से संचालित कर पायेंगे?
जरूरत है बैंक की सुरक्षा-व्यवस्था बढ़ाने के साथ-साथ बैंककर्मियों के मनोबल को भी बढ़ाने का, ताकि क्षेत्र के समृद्धशाली बनने के साथ-साथ बैंकिंग व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।

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