अररिया : कृषि बहुल अररिया जिले की अधिसंख्य आबादी की आजीविका कृषिगत पेशे से जुड़ा है। अनुकूल जलवायु माकूल मैदानी इलाका के बावजूद जिले के किसान प्रति वर्ष बाढ़ जैसे विपदाओं से हलकान होते रहे हैं। जिले के कुल भोगोलिक क्षेत्र 271712 हेक्टेयर में से 160320 हे. में खेती की जाती है। कृषि विज्ञान केन्द्र से प्राप्त आंकड़े के अनुसार वर्ष 2009-10 में प्रमुख फसलों की खेती निम्न प्रकार की गयी।
धान- 95990 हे.
गेहूं- 51200 हे.
मक्का- 7150 हे.
जूट- 34590 हे.
मूंग- 1210 हे.
सिंचाई
कुल सिंचित जमीन 108710 हे. है।
सिंचाई के स्रोत- सिंचित भूमि
नहर - 30520 हे.
टैंक (तालाब) - 6750 हे.
कूआं - 3120 हे.
बोरिंग - 49220 हे.
अन्य - 19200 हे.
सिंचाई की नयी तकनीक
लाभकारी खेती के लिये क्षेत्र के किसान नये-नये तकनीक का प्रयोग कर रहे हैं।
स्प्रिंकलर - इस उपकरण से मुख्य रूप से गेहूं व सरसों आदि में सिंचाई की जा रही है। जिससे 30-35 फीसदी पानी की बचत के साथ हीं लागत मूल्य में भी कमी आती है।
ड्रीप सिंचाई:- सब्जी व बागवानी की खेती के लिए सर्वाधिक उपयुक्त इन उपकरणों का उपयोग प्रगतिशील किसानों ने शुरू कर दी है। 50 प्रतिशत पानी की बचत के अलावा पैदावार में वृद्धि होती है।
उन्नत बीज:
मुख्यमंत्री तीव्र बिज विस्तार योजनार्न्तगत चयनित किसानों को उन्नत प्रभेदों के आधार बीज दिये गये। साथ हीं प्रखंडवार बीज ग्राम योजना के माध्यम से भी किसानों को प्रमाणिक उन्नत बीज उपलब्ध करायी जा रही है।
कृषि यंत्र
लाभप्रद खेती के लिये किसान परंपरागत खेती से हटकर नवीनतम यंत्रों को अपना रहे हैं। जिससे मजदूरी खर्च में कमी के अलावा समय की भी बचत हो रही है।
मिट्टी की उर्वरा शक्ति एवं जैविक खाद:-
खेतों की लगातार जुताई व रासायनिक खादों का बेहिसाब प्रयोग से मिट्टी की उर्वरा शक्ति नष्ट होने से बचने के लिए बड़ी संख्या में किसानों ने जैविक खाद का प्रयोग शुरू कर दिया है।
जीरोटीलेज विधि: मिट्टी की उर्वरा शक्ति को कायम रखने को ले जिले के किसान संरक्षित खेती की ओर उन्मुख हो रहे हैं। सीमिट इण्डिया बेगुसराय के कृषि वैज्ञानिक अशोक यादव की मानें तो जिले में चालू रबी सीजन में किसानों ने तकरीबन 5 हजार हे. में जीरो टीलेज (बिना जुताई के बुआई) पद्धति से गेहूं की बुआई की है। जिला कृषि पदा. वैद्यनाथ यादव के अनुसार अनुदानित मूल्यों पर 50 किसानों को जीरो टीलेज यंत्र दिये गये।
किसानों की समस्या व निराकरण:-
कृषि संबंधी विभिन्न समस्याओं के निदान को ले पंचायत स्तर पर किसान पाठशाला खोले जा रहे हैं। जबकि प्रखंड स्तर पर किसान शिविर व प्रशिक्षण तथा जिला स्तरीय किसान मेले का आयोजन किया जा रहा है।
प्रमुख समस्या:-
समुचित बाजार का अभाव, कोल्ड स्टोरेज की कमी व एफ सी आई में बिचौलिये के हावी रहने से किसानों को उनके उपज का सही मूल्य नहीं मिल पाता। विभिन्न बैंक भी किसानों को स समय ऋण देने में आनाकानी करते हैं।
प्रगतिशील किसान क्या कहते हैं:-
प्रखंड अंतर्गत पंचायत बांसबाड़ी के प्रगतिशील किसान मंसूर आलम, राजकुमार, अरविन्द आदि की सुने तो उनकी प्रमुख समस्या बाढ़ से निजात पाना है। ज्ञात हो कि वर्षा के समय, परमान, बकरा सहित दर्जनों नदियों प्रति वर्ष किसानों के उपर कहर बरसाती है। हजारों हैक्टेयर फसल बाढ़ में बह जाता है।
नये साल के संदेश (कृषि वैज्ञानिकों का)
कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक डा. मो. जावेद इद्रीश, एसएमएस मनोज कुमार कहते हैं कि कृषि का पूर्ण यांत्रिकरण, संरक्षित खेती को बढ़ावा व समय पर बुआई, समय पर सिंचाई करने से किसानों को अधिक लाभ मिल पायेगा तो फिर उनके चेहरे चमकने लगेंगे।
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