Saturday, October 23, 2010

मतों का गणित सुलझाने में उलझे उम्मीदवार

अररिया। प्रथम चरण का मतदान गुरुवार को संपन्न होते ही चुनाव की भाग दौड़, शोर गुल तिकड़म व धमाचौकड़ी का माहौल अब शांत हो गया है। प्रत्याशी समर्थक और उनके लगवे-भगवों की लगातार
लटक ा-झटका झेल रहे आम लोगों ने अब राहत की सांस ली है। चुनाव मैदान में अपने षोड्स कलाओं का प्रदर्शन कर चुके योद्धा भी अपने तीर- तुक्का समेटने लगे हैं। परन्तु परिणाम के लिए लंबी प्रतीक्षा ने उनकी बेचैनी बढ़ा दी है। प्रत्येक की नजरें स्ट्रांग रूम पर जा टिकी है, जहां जिले के अस्सी दिग्गजों के भाग्य का पिटारा लाक है। पूरे एक माह दो दिन बाद यानि 24 नवंबर को यह पिटारा खुलेगा और तभी यह पता चल पायेगा कि जिले के अररिया, जोकीहाट, सिकटी, फारबिसगंज, नरपतगंज और रानीगंज का ताज किन छह विजेता के सिर पर सजेगा। फिलहाल जीत-हार के समीकरण को ले यहां चर्चाओं का माहौल गरम है।
अररिया विधानसभा क्षेत्र में चुनाव के बाद हो रही चर्चाओं पर अगर गौर करें तो यहां चौदह में से तीन उम्मीदवारों के बीच कड़े संघर्ष की चर्चा हर जुबां पर है। लोजपा के जाकिर अनवर, भाजपा के नारायण झा और कांग्रेस के मोइदुर्रहमान फिलहाल चर्चा की केन्द्र में हैं। जीत का सेहरा इन्हीं तीनों में से किसी एक के सिर बंधने वाला है। लेकिन यह भी तय माना जा रहा है कि क्षेत्र के कुछ दिग्गज निर्दलियों द्वारा लाए गए मतों की संख्या ही ताज का दावेदार तय करेंगे। निर्दलीय अजय कुमार झा, हैदर यासीन को भी अच्छे मत आने के आसार हैं।
जोकीहाट विस क्षेत्र की बात करें तो वहां मतदाताओं का नया रूझान सामने आ रहा है। जदयु के सरफराज आलम और राजद के अरुण यादव के बीच होने वाली सीधी टक्कर को निर्दलीय कौसर जिया ने त्रिकोणात्मक बना दिया है। मतदान के दिन कौसर जिया को मिले मतदाताओं का अपार समर्थन से राजनीतिक प्रेक्षकों के होश उड़ गए हैं। कौसर जिया को मतदाताओं के एक बड़े वर्ग का वोट जाने की चर्चा यहां हर जुबां पर है। वैसे निर्दलीय रंजीत यादव एवं मुर्शीद आलम को भी अच्छे मत मिलने की उम्मीद जतायी जा रही है। ऐसे में यहां भी निर्दलियों को मिले मत का प्रतिशत ही विजेता के भाग्य का फैसला करेगा।
सिकटी विस क्षेत्र में भाजपा-लोजपा-कांग्रेस का त्रिकोण मतदान के दिन तक बरकरार रहा, लेकिन निर्दलीय यहां भी जीत हार में अहम भूमिका निभाने वाले हैं। भाजपा के आनन्दी यादव, लोजपा के विजय कुमार मंडल और कांग्रेस के शगुफ्ता अजीम में कौन विजेता होगा इसका निर्णय निर्दलीय निवर्तमान विधायक मुरलीधर मंडल, भाई अजीम और महेन्द्र मंडल को मिले मत के आधार पर होने वाला है। यहां भी ताज की कुंजी निर्दलियों के पास ही है।
फारबिसगंज में सीधी टक्कर लोजपा के मायानन्द ठाकुर व भाजपा के पद्म पराग वेणु के बीच है। दोनों को परंपरागत वोट बैंक का साथ मिलने की चर्चा है। हालांकि कांग्रेस के प्रकाश चौधरी और बसपा के कफिल अहमद भी कुछ वोट पाने में सफल हुए हैं लेकिन ये संघर्ष को तिकोना नहीं बना पाए। अब भाजपा एवं लोजपा के प्रत्याशी में से कौन एक-दूसरे के वोट बैंक में सेंध लगाने में सफल हुए हैं। जीत का आधार यही बनेगा। ऐसे दोनों प्रत्याशियों के बीच कांटे की टक्कर है।
नरपतगंज विस क्षेत्र में भी राजद और भाजपा के बीच ही सीधी टक्कर बतायी जा रही है। राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार अंत में कांग्रेस प्रत्याशी संघर्ष को तिकोना बनाने में असफल रहे। यहां राजद से अनिल कुमार यादव, भाजपा से देवयंती यादव प्रत्याशी हैं। यहां राजद एवं भाजपा को अपने-अपने वोट बैंक का पूरा समर्थन मिला है। इसलिए यहां कांटे का संघर्ष है। जीत हार का फैसला काफी कम होने की उम्मीद है।
यही स्थिति रानीगंज की भी है। रानीगंज में राजग की शांति देवी एवं भाजपा के परमानन्द ऋषिदेव के बीच क्लोज फाइट है। हालांकि कांग्रेस के उम्मीदवार हरि वैश्यंत्री अंत तक संघर्ष को त्रिकोणीय रूप देने के लिए प्रयासरत रहे तथा अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करायी है। उन्हें भी अच्छे मत आने की उम्मीद है। यहां भी जीत हार का अंतर काफी कम रहने के आसार हैं।
चुनाव का परिणाम क्या होगा यह तो 24 नवंबर को पता चलेगा। फिलहाल प्रत्याशी ईवीएम में बंद मतों का गणित सुलझाने में व्यस्त हैं।

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