Tuesday, November 23, 2010

शिक्षा क्षेत्र में निरक्षर कलावती का योगदान अविस्मरणीय

रानीगंज(अररिया),जाप्र: है वही इस जग में जो अपनी राह बनाता है, कोई चलता है पद् चिन्हों पर कोई पद चिन्ह बनाता है। पद्मश्री कलावती ऐसी शख्सियत थी जिसके पद चिन्हों पर आज समाज चल रहा है। शिक्षा के क्षेत्र में अविस्मरणीय कार्य के लिए इस निरक्षर महिला को सन् 1980 में भारत सरकार ने पद्मश्री से अलंकृत किया था। पुण्यतिथि के मौके पर कार्यक्रम आयोजित कर उस महान आत्मा को श्रद्धांजलि देने की तैयारी की जा रही है।
काली काया वाली इस महिला की कृति से तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी इतनी प्रभावित हुई थी कि इन्हें बुलाकर ससम्मान अंगवस्त्र प्रदान किया था। कहते है कलावती का हर कार्य अनुकरणीय था। फिजूलखर्ची को वो इतना नापसंद करती थी। जब उन्हें पद्मश्री अलंकरण के लिए दिल्ली बुलाया गया तो उन्हें वहां एक बड़े व महंगे होटल में ठहराने की व्यवस्था की गयी जिसका प्रतिदिन किराया 2000 रूपये से भी अधिक था। जानकारी होने पर कलावती होटल के उस कमरे में टिकने से यह कहकर मना कर दी कि वह तो 25 रूपये के ही कमरे में रह सकती है। यह फिजूलखर्ची है। कलावती शिक्षा के क्षेत्र में ही नहीं बल्कि पर्यावरण के क्षेत्र में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। कई एकड़ में उनके द्वारा लगाये गये हजारों वृक्ष विद्यालय व महाविद्यालय के लिए करोड़ की संपत्ति है। वृक्ष की महत्ता को समझाते हुए वह दूसरों को भी वृक्षारोपण के लिए प्रेरित करती रही। विद्यालय के छात्रावास में छात्राओं के संग रहकर उन्हें निरंतर अनुशासन का पाठ पढ़ाती रही। भले ही वे हमारे बीच नहीं है। परंतु उनके द्वारा स्थापित विद्या का तीन तीन मंदिर क्षेत्र के हजारों छात्र छात्राओं के लिए शिक्षा का स्रोत बना हुआ हैI

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