Tuesday, November 23, 2010

जात की चाशनी के बावजूद फोकस में रहा विकास का एजेंडा

अशोक झा,अररिया, जागरण प्रतिनिधि : जात की चुनावी चाशनी के बावजूद विधान सभा चुनाव में विकास के एजेंडे ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सबने बोले विकास के बोल, चुनावी जीत के बाद भरपूर विकास का वायदा। ..क्षेत्र को चमका देंगे। वहीं इस बार के चुनाव में मतदान का प्रतिशत विगत चुनाव की तुलना में अधिक रहा। जिले के तीन विस क्षेत्रों में महिलाओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों की तुलना में अधिक रहा। अन्य तीन में भी विगत चुनाव की तुलना में महिलाएं अधिक तादाद में वोट डालने निकली।
डीडीसी उदय कुमार सिंह की मानें तो चुनाव के दौरान प्रशासन न केवल कानून व्यवस्था को ले सजग था बल्कि वोट गिराने से समाज का कोई तबका वंचित नहीं रहे इस पर भी उसकी नजर थी।
हाल में संपन्न विधान सभा चुनाव के दौरान जिले में सत्ता पक्ष व विपक्ष की लगभग पचास बड़ी सभाएं हुई। इन सभाओं में विकास सेंट्रल फोकस पर रहा। कल तक जात के नाम पर समाज में वोट की जुगाड़ करने वाले राजनेताओं के बोल भी विकास पर ही केंद्रित रहे। जिनका दावा विकास का है वे तो विकास पर ही बोलते रहे।
ऐसा क्यों हुआ? इस संबंध में अररिया कालेज में समाजशास्त्र के विभागाध्यक्ष डा. सुबोध कुमार ठाकुर का मानना है कि समाज में शिक्षा व जागरूकता दोनों बढ़ी है। अब केवल जाति के झुनझुने से काम चलने वाला नहीं। जनता चाहती है कि समाज से विकास हीनता का अभिशाप दूर हो। जात शादी ब्याह के लिये ठीक है अब धरातल पर कुछ काम होना
चाहिये।
इस बार के चुनावों में यह खास रहा कि जोकीहाट, सिकटी व रानीगंज में महिलाओं ने वोट डालने के मामले में पुरुषों को पछाड़ दिया। अन्य तीन क्षेत्रों में महिलाओं का मतदान प्रतिशत उल्लेखनीय रहा।
जानकारों की मानें तो चुनाव आयोग के डंडे व प्रशासन के प्रयासों से ऐसा संभव हो पाया। इस बार के चुनाव में सेक्टर मैजिस्ट्रेट को काम पर लगाया गया था। उन्हें मतदाताओं को जागरूक करने व मतदान में किसी प्रकार की बाधा को दूर करने का काम सौंपा गया था। महिला कालेज में प्राध्यापक व चुनाव में सेक्टर मैजिस्ट्रेट रहे प्रो. संजय शंकर का मानना है कि उनके जैसे लोगों की दिन रात मेहनत की वजह से लोंगों में मतदान के प्रति आम तौर रहने वाली अरुचि घटी और लोग वोट डालने निकले। उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र के बहुत से युवा हरियाणा व पंजाब में धन कटनी का सीजन होने की वजह से अनुपस्थित रहे, अन्यथा मतदान का प्रतिशत और भी अधिक रहता।

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