Monday, November 1, 2010

बिचौलिए खा गए आधी राशि, कैसे बनेगाइंदिरा आवास?

अररिया। प्रशासन कितना भी दावा कर ले इंदिरा आवास की पूर्ण राशि लाभुकों के हाथ पहुंचना अब भी टेढ़ी खीर बनी हुई है। बिचौलिए जनप्रतिनिधियों एवं अफसरों की मिली भगत शायद ही इस मामले में किसी से छिपा हो। लाभार्थियों का कहना है कि बिचौलियों का दबदबा पंचायत से लेकर प्रखंड कार्यालय तक होता है। बगैर नजराना लिए कोई काम आगे नहीं बढ़ता है। नजराना के बिना तो कोई बात तक नहीं करते। दर्जनों बार प्रखंड कार्यालय का चक्कर काट लीजिए फिर भी आपका काम नहीं होने वाला है। इंदिरा आवास के लाभुक थक हार कर दलालों के जाल में फंस जाते हैं। लाभार्थियों की मानिए तो आठ-दस हजार रुपये प्रति लाभुक की दर से ले ली जाती है। कहीं-कहीं तो छह महीना पूर्व ही इंदिरा आवास के नाम पर राशि उगाही कर ली गयी है। ऐसे में सैकड़ों लाभुकों ने आस-पड़ोस से बिचौलियों के लिए इंदिरा आवास मुहैया कराने के नाम पर राशि दी है। जिसमें कई ऐसे लाभुक हैं जिन्हें दो वक्त की रोटी भी जुटाना मुश्किल है। तो इंदिरा आवास का निर्माण ऐसी हालत में कैसे कराए? कुछ ऐसे भी लाभुक हैं जिनके नाम से पूर्व में राशि गलत तरीके से उठा ली गयी है और उन्हें पता तक नहीं है। दबंगों के आगे ऐसे कमजोर लाभार्थी कुछ बोलने से भी डरते हैं। बड़े पैमाने पर राशि बंदरबांट होती है लेकिन प्रशासन का कोड़ा चलता है बेगुनाह लाभुकों पर।

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