Sunday, October 31, 2010

चाईनीज बल्ब ने मचाई धूम

खगड़िया। दिन रविवार। समय सुबह के छह बजे। स्थान कुम्हार टोली बेला सिमरी। चाक पर घुमती नन्ही उंगलियां, मिट्टी को मनचाहा आकार दे रही थी। चाक पर दीपावली को लेकर दीप, कलश बना रहे रोहित पंडित, संजय कुमार के चेहरे पर जगह-जगह लगी मिट्टी उनके व्यथा की कहानी बयां कर रही थी। पूछने पर रोहित बताता है कि वह कक्षा छह में पढ़ता है। अभी स्कूल नहीं जा रहा है। क्योंकि पिताजी ने दीप बनाने को कहा है। वहीं, चमरू पंडित कहते हैं कि दीपावली के अवसर पर दीप व कलश की बिक्री अच्छी हो गई, तो महीना, दो चार महीना के लिए घर-गृहस्थ का खर्च निकल आयेगा। वहीं, राजीव पंडित कहते हैं कि प्रजापति समुदाय मिट्टी से ज्ञान की देवी सरस्वती, शक्ति की देवी दुर्गा व धन की देवी लक्ष्मी का निर्माण करते हैं, पर इस समुदाय पर इन तीनों में से किसी की कृपा नहीं बरसती है। प्रशासनिक उदासीनता के कारण इस समुदाय के समक्ष बेरोजगारी का संकट उत्पन्न हो गया है। पहले मिट्टी मुफ्त या सस्ते दर पर मिल जाता था। इस कारण दीप व कलश भी सस्ता मिल जाता है। लेकिन, मिट्टी के दीप व कलश निर्माण की लागत काफी बढ़ गई है। उस दर से लोग क्रय नहीं करना चाहते हैं। अब तो लोग परंपरा निभाने के लिए एक दो दर्जन दीप खरीद रहे हैं। वहीं, चाईनीज बल्ब के सस्ते दर पर बाजार में उपलब्धता ने भी परेशानी बढ़ा दी है। इधर, इलेक्ट्रानिक उपकरण विक्रेता विवेक कुमार कहते हैं कि साठ रुपये दर्जन से डेढ़ सौ रुपये दर्जन के हिसाब से रंग बिरंगे चाईनीज बल्ब बाजार में उपलब्ध हैं। उपभोक्ताओं को चाईनीज बल्ब खूब भा रहे हैं। वहीं, अभी बिजली की अच्छी स्थिति ने भी चाईनीज बल्ब की बिक्री बढ़ा दी है।

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