अररिया, निप्र.: पानी की किल्लत से हलकान क्षेत्र के किसानों के लिए वरदान साबित हो सकता है पताल तोड़ कुंआ। प्रकृति प्रदत्त इस मुफ्त उपहार के बहुआयामी प्रयोग से किसानों के लिए चहुंमुखी विकास की संभावनाओं का मार्ग प्रशस्त करने के आसार प्रबल हैं।
प्रखंडाधीन सौरा नदी के पूर्वी किनारे-किनारे पंचायत चन्द्रदेई, कमलदाहा व बनगामा में तकरीबन हजारों किसान इस पातालतोड़ कुंआ के जरिए दर्जनाधिक बोरिंग के माध्यम से पम्पसेट मशीन लगाए बिना हजारों एकड़ फसलों का मुफ्त पटवन कर रहे हैं। जागरूकता की कमी के चलते एक दशक पूर्व तक सौरा नदी के किनारे उत्तर से दक्षिण तकरीबन तीन किमी की लंबाई में इस भूगर्भीय संरचनाओं में छिपे पताल तोड़ कुंआ के बारे में क्षेत्र के किसान अनभिज्ञ थे।
एक दशक पूर्व जब क्षेत्र के किसानों ने परंपरागत खेती से हटकर वैज्ञानिक तौर तरीके से खेती करने के लिए बोरिंग का इस्तेमाल शुरू किया तो पाया कि बिना पम्प सेट मशीन के बोरिंग से स्वत: वर्ष भर पानी निकल रहा है। कमलदाहा पंचायत के डीहया बस्ती के किसान इमरान आलम, गुलाम मुस्तफा, साबीर आलम, रेहान, शाहीद, रब्बान, सावन, बदरूल, जावेद, हारुण आदि ने बताया कि इस क्षेत्र में पाताल तोड़ कुंआ के जरिए हो रहे मुफ्त पटवन से धान के फसलों में प्रति एकड़ अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। इधर, जिला कृषि पदाधिकारी बैद्यनाथ प्रसाद यादव के नेतृत्व में अधिकारियों के एक दल ने क्षेत्र का मुआयना कर उपरोक्त तथ्यों की पुष्टि की है।
ज्ञात हो कि बोरिंग से स्वत: निकल रहे इस जल से किसान अपने-अपने खेतों में आवश्यक सिंचाई के बाद जल को नदी में बहा देते हैं। डीएओ श्री यादव ने क्षेत्र के किसानों को पटवन के अतिरिक्त इस पर्याप्त जल को एकत्रित कर मत्स्य पालन की सलाह दी। जिससे कि किसानों को कई गुणा ज्यादा लाभ मिलेगा। लेकिन किसानों को दरकार है सरकारी सहायता की जिससे वे बेहतर जल प्रबंधन कर अपनी किस्मत संवार सकें।
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