Friday, October 21, 2011

प्रभु की भक्ति का नशा ही जीवन का लक्ष्य : सदानंद जी महाराज

फारबिसगंज (अररिया) : प्रभु की भक्ति का नशा अगर एक बार लग जाए तो वह जीवन भर नहीं उतरता। इसलिए नशा करना ही है तो प्रभु की भक्ति का करो, इसी से शांति और सुख मिलेगा। उक्त बातें श्री कृष्ण प्रणामी परम धाम वृंदावन के संत शिरोमणी श्री 1008 सदानंद जी महाराज ने गुरुवार की संध्या स्थानीय छुआपट्टी में आयोजित एक सत्संग समारोह में कही। राजेन्द्र अग्रवाल तथा सांवरमल अग्रवाल द्वारा आयोजित सत्संग में सदानंद महाराज ने कहा कि शराब का नशा जीवन को बर्बाद करता है जबकि प्रभु की भक्ति का नशा जीवन को लक्ष्य तक पहुंचता है। उन्होंने लोगों से नशा मुक्त जीवन को आत्मसात करने की प्रेरणा दी। महाराज ने इस संदर्भ में रामायण ग्रंथ तथा उनके रचयिता बाल्मिकी का विस्तृत रूप से उदाहरण देकर कई संदर्भ प्रस्तुत किये। इस अवसर पर सदानंद महाराज ने कहा कि गर्भ में पलने वाले शिशु का कोई धर्म नही होता बल्कि वह एक आत्मा है। उन्होंने भ्रूण हत्या की तीखी आलोचना की। भगवान रूपी शिशु की मां के पेट में अथवा जन्म के बाद मारना या त्यागना पाप है। उन्होंने भक्तों से इस दिशा में समाज में चेतना जगाने की अपील की। उन्होंने साम्प्रदायिक सौहार्द के भी कई संदर्भ प्रस्तुत किये।

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