Friday, March 18, 2011

बैरी पिया अब तक नहीं आयो, तरसे मन पुरवाई में..


फारबिसगंज (अररिया) : शहर के आरबी लेन छुआपट्टी में आयोजित चार दिवसीय होली महोत्सव के दूसरे दिन गुरुवार की संध्या कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें कवियों ने अपनी हास्य रचनाओं से लोगों को खूब गुदगुदाया। इससे पहले फारबिसगंज एसडीओ गिरीवर दयाल सिंह सहित पूर्व विधायक लक्ष्मी नारायण मेहता, नप के उप मुख्य पार्षद राजकुमार अग्रवाल, जय प्रकाश अग्रवाल तथा प्रोफेसर मोती लाल शर्मा ने सामूहिक रूप से दीप प्रज्वलित कर होली महोत्सव के दूसरे दिन के कार्यक्रम की शुरूआत की। आगन्तुकों ने एक दूसरे को गुलाल लगाकर कार्यक्रम को रंगमय बना दिया। एसडीओ ने कार्यक्रम की भूरी-भूरी प्रशंसा की।
'कोई रोटी बनाता है, कोई रोटी खाता है, पर कोई है जो रोटी से खेलता है' कवि विजय बंसल की एस समसामयिक व्यंगात्मक कविता से वाह-वाह आवाज गूंज उठी तथा तालियों की गड़गड़ाहाट से कवि का उत्साह व‌र्द्धन किया। वहीं डा. अनुज प्रभात की कविता, 'आया फागुन महका महुआ, गूंजी कूक अंगराई में, बैरी पिया अव तक नही आयो, तरसे मन पुरवाई में।' ने सभी मन मोह लिया। कार्यक्रम में कवि सह शिक्षक मांगेन मिश्र, बाल साहित्यकार हेमंत यादव, प्रो. डा. मोती लाल शर्मा, निर्मल सेठिया, बालक आदर्श गोयल ने भी कई कविताएं प्रस्तुत किये। इससे पूर्व एसडीओ श्री सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि होली का पर्व शौहार्दपूर्ण वातावरण में मनाने की अपील की। इस अवसर पर कार्यक्रम में संयोजक अअजात शत्रु अग्रवाल ने कहा कि शहर में पहली बार हो रहे इस कार्यक्रम को सभी वर्गो का सहयोग मिल रहा है। उन्होंने कहा कि अगले वर्ष इस कार्यक्रम को वृहद रूप प्रदान किया जायेगा। होली महोत्सव कार्यक्रम में मिठाइयां बांटी गई तथा गुलाल लगाया गया।

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