Tuesday, December 20, 2011

बकरा के विस्थापित जी रहे खानाबदोश की जिंदगी


सिकटी (अररिया) : रहने को घर नहीं सोने को बिस्तर नहीं..,किसी तरह गुजर रही है जिंदगी प्रखंड क्षेत्र के बकरा व नूना नदी से विस्थापित परिवारों का कुछ ऐसा ही नसीब है। हालांकि सीओ एसके पांडे का कहना है कि विस्थापितों के पुनर्वास के लिए सूची बनाई जा रही है। उन्हें जल्द जमीन उपलब्ध करा दी जायेगी।
बकरा नदी से विस्थापित हुए परिवार पिछले कई वर्ष से सड़क, बांध व तीरा हाट पर जीर्ण-शीर्ण अवस्था में खानाबदोश की जिंदगी व्यतीत कर रहे हैं। प्रशासन व जनप्रतिनिधि से इन लोगों को पुनर्वास का आश्वासन तो मिला, पर उस पर अमल नही होने से दिन व दिन इन लोगों की हालत बिगड़ती जा रही है। हालांकि यहां के सांसद व विधायक कटाव स्थल का निरीक्षण भी किया विस्थापित परिवारों को आश्वासन भी दिया, लेकिन नतीजा कुछ भी नही निकला।
जानकारी के अनुसार वर्ष 1987 के बाद से बाढ़ एवं कटाव से विस्थापितों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। कृषि योग्य भूमि का एक बड़ा भाग कटाव ग्रस्त होने से कृषि पर अधारित परिवारों की हालत भी खराब हो गयी है।
एक ही जगह बसे ग्रामीण कभी पड़ोसी हुआ करते थे लेकिन आज अलग अलग जगहों पर बसे हैं। क्षेत्र के नेमुआ गांव की सड़कों व तीरा हाट सहित कई अन्य स्थानों पर विस्थापित परिवार झोपड़ी डालकर रह रहे हैं। कई विद्यालय भी नदी की कटाव की जद में आ गये हैं।
इस संबंध में अंचलाधिकारी एसके पांडे ने बताया कि विस्थापित परिवारों के पुनर्वास के लिए सूची बनाई जा रही है। उन्हें बहुत जल्द जमीन उपलब्ध करा दी जायेगी।

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