Wednesday, January 11, 2012

अतिक्रमण की चपेट में कोसी नहरें


अररिया : लगातार उपेक्षा से जर्जर हो चुकी कोसी नहरों से किसानों को एक बूंद पानी नसीब नहीं हो रहा है। वहीं, नहर की सैकड़ों एकड़ भूमि का अता पता नहीं चल रहा है। अधिकांश नहरें अतिक्रमण की शिकार बनी हैं। कई जगहों तो किसानों ने नहर के पाट में ही खेती शुरू कर दी है।
अररिया शहर के मध्य से एबीसी (अररिया ब्रांच कैनाल) नहर गई है। गोढ़ी चौक से ही नजर दौड़ाएं तो नहर पर जगह-जगह लोगों के घर खड़े नजर आते हैं। नहर के दोनों तरफ की जमीन पर अवैध कब्जा है। ऐसी ही कहानी लगभग पूरे जिले की है। शहर के शिवपुरी मुहल्ले से गुजरने वाली सारी नहरें लापता हो चुकी हैं। कई पर सड़कें बन गई हैं तो कई अतिक्रमण की चपेट में हैं।
अररिया प्रखंड के लहना गांव में तो किसानों ने बीच नहर में ही सरसों की खेती शुरू कर दी है। ग्रामीण नसीमुल ने बताया कि इस नहर में तीस साल से एक बूंद पानी नहीं आया है। लंबे अरसे तक नहर परती पड़ी रही। खाली जमीन रहने के कारण इसमें मवेशी भी आ जाते थे, जिससे खेती को नुकसान पहुंचता था। सो, हम लोगों ने यहां खेती शुरू कर दी है।
इधर, मंगलवार को सिंचाई प्रमंडल कार्यालय में विभाग के एक सहायक अभियंता ने बताया कि कोसी नहर का निर्माण करने के लिए लगभग साठ साल पहले भूमि अधिग्रहीत की गई थी। इस भूमि का कोई रिकार्ड सिंचाई विभाग के पास नहीं है। सारे अभिलेख पूर्णिया स्थित भू-अर्जन कार्यालय को भेजा गया था। विभाग के पास अमीन की भी कमी है। पुराने स्टाफ सेवानिवृत होते हैं तो उनकी जगह कोई नया नहीं आता। वहीं, विभाग के पास अधिग्रहीत जमीन को निकालने के लिए कोई सिस्टम भी कार्यरत नहीं है। इधर, कोसी योजना के विफल हो जाने के कारण जिले के अररिया, रानीगंज, भरगामा, नरपतगंज व फारबिसगंज प्रखंडों के किसान बेहद परेशान हैं। इन प्रखंडों के तकरीबन 400 गांवों में गेहूं व धान की खेती पर खराब असर पड़ा है। जमीन की उर्वरा शक्ति भी घट गई है।

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