Thursday, June 28, 2012

भारत का माल, सोना उगा रहा नेपाल


अररिया : भारत के माल पर सोना उगा रहा है नेपाल। सीमांचल में सक्रिय खाद तस्करों का सिंडिकेट इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। दरअसल नेपाल के तराई इलाके में होने वाली खेती तस्करी के खाद पर निर्भर करती है। तस्करों के इस खेल को नो मैंस लैंड और जिले के खाद कारोबारी मदद पहुंचा रहे हैं।
मानसून के प्रवेश के साथ ही सीमांचल में खाद तस्करों का सिंडिकेट सक्रिय हो गया है। तस्करों के इस सिंडिकेट का जाल बंगाल और नेपाल तक फैला है। नेपाल का तराई इलाका सोना उगलता है। परंतु इस जमीन को सोना बनाने के लिए भारतीय खाद की आपूर्ति इस इलाके के तस्कर करते हैं। तस्करों की मदद यहां के खाद कारोबारी और नो मैंस लैंड व उसके आसपास बने छुपे गोदामों से होता हैं।
फिलहाल इंडो-नेपाल सीमा से सटते भारतीय क्षेत्र में खाद माफियाओं द्वारा कई छुपे गोदामों का निर्माण किया गया है। इन गोदामों में तस्करों व कारोबारियों द्वारा खाद का भंडारण किया जाता है। सीमा पार पहुंचाने के लिए तस्करों द्वारा कई तरीके इस्तेमाल में किये जाते हैं। नेपाल के तराई इलाके के आमगाछी, मधुबनी, डैनिया, बघवान, दानापट्टी, टकुआ, आमबाड़ी, कोढैली, खरर्रबाड़ी, कल्याणपुर, चोपराहा, नेपाल सिकटी आदि तराई का गांव सोना उगलता है। इन इलाकों में धान की खेती बड़े पैमाने पर होती है। टकुआ के इंद्र नारायण मंडल बताते हैं कि यहां धान मुख्य फसल है। बहुआन के देव नारायण मंडल के अनुसार भारतीय खाद के बिना उनके खेतों में फसल की कल्पना बेमानी है। वो बताते हैं कि जो खाद भारती में तीन सौ रुपये उपलब्ध है वो खाद नेपाल में पांच से छह सौ रुपये बोरी मिलता है। बावजूद इसके भारतीय खाद की मांग काफी है। हाल के दिनों में परवाहा में पांच सौ बोरा तथा सिकटी में सीमावर्ती गांव में 162 बोरा बंगाल का खाद पकड़ा गया। बताते हैं कि फारबिसगंज के कुछ खाद कारोबारी तस्करों की सांठगांठ से भारतीय खाद नेपाल पहुंचाने में जुटे हैं। ऐसे कारोबारियों के तार बंगाल से जुडे़ हैं।
कहते हैं अधिकारी
''विभाग की नजर खाद तस्करी पर है। विभाग द्वारा सीमावर्ती इलाके के कारोबारियों पर नकेल कसी जा रही है ताकि जिले के किसानों को दिक्कत का सामना नहीं करना पड़े।''
नईम अशरफ, जिला कृषि पदाधिकारी

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