अररिया : एक साल बाद एक बार फिर दुष्कर्म व हत्या का मामला चर्चा में है। पटना की एक नर्स के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या के करीब एक वर्ष पूर्व सिमराहा थाना क्षेत्र में मिले अज्ञात महिला के शव की घटना क्या एक-दूसरे से जुड़े है। यह बात मृतका नर्स उषा के चाचा द्वारा रविवार को दर्ज कराये गए प्राथमिकी के बाद चर्चा में है। जहां एक घटना को सत्य एवं सूत्रहीन दर्शाया गया तो दूसरे मामले में तीन वकील समेत सात लोग नामजद आरोपी बनाये गए हैं।
मिली जानकारी के अनुसार 09 जून 11 को सिमराहा थाना क्षेत्र के लक्ष्मीपुर में अज्ञात एक महिला का शव मिला था। जिसे अज्ञात अपराधकर्मियों द्वारा इस घटना को अंजाम दिए जाने की चर्चा हुई। तत्पश्चात वहां के चौकीदार 22/06 राम बहादुर ऋषिदेव के बयान पर प्राथमिकी दर्ज हुई थी। फारबिसगंज (सिमराहा), थाना कांड संख्या 287/11 भादवि की धारा 302/34 के तहत अज्ञात लोगों के विरुद्ध दर्ज कराया गया तथा अनुसधानकर्ता तारकेश्वर प्र. सिंह पुलिस अधिकारी बनाये गये। वहीं एक साल बाद फिर 24 जून 12 को फारबिसगंज (सिमराहा) थाना कांड संख्या 221/12 दर्ज हुआ। इस प्राथमिकी में भादवि की धारा 302, 201, 120 बी, 376, 420/34 के तहत आरोप लगाया गया तथा मृतका उषा के चाचा अनिल सिंह के बयान पर यह प्राथमिकी दर्ज हुई। इस मामले में अररिया सिविल कोर्ट के तीन वकील समेत सात लोग नामजद अभियुक्त बनाये गए, जिसमें सिविल कोर्ट अररिया के वकील व गैयारी निवासी आफताब, व मो. कमरूज्जमा, फरसाडांगी के सरफराज तथा बरदबट्टा के मोहन झा समेत पलासी के मुखिया मुर्शिद अबु बकर समेत डोरिया बलवा के मरगुब को आरोपी बनाया गया। जमुई जिले के सोनखार निवासी अनिल सिंह ने आरोप लगाया कि उसकी भतीजी उषा पटना स्थित पीएमसीएच में जब नर्स का कार्य कर रही थी तो उसी वक्त सरफराज अपना नाम सागर बताकर उसके संपर्क में आया तथा इस काम में मरगुब ने मदद किया। उसी दौरान शादी का झांसा देकर यौन शोषण जारी रहा।
परंतु जब दोनों वहां से गायब हो गये तो उषा उन लोगों की खोज करते अररिया पहुंची। जहां उसका नाम यही खातुन रखकर सरफराज से ब्याह करा दिया गया। परंतु उसके साथ जारी प्रताड़ना के बाद न्याय के लिये भटकती उषा को इंसाफ दिलाने के नाम पर आरोपियों ने उसके साथ यौन शोषण करते रहे तथा इसी क्रम में पंचायती में लिये 78 हजार हजम कर लेने को लेकर उसकी हत्या कर दिया गया। जिसका पता सूचक को सिमराहा थाना पहुंचा। जहां दिखाये गये एक मृतका के फोटो से उषा की हुई मौत की पुष्टि की गयी। जो पुरनदाहा खवासपुर सड़क किनारे मिले एक अज्ञात महिला के शव से की गयी। हालांकि इस मामले में वहां की पुलिस ने चौकीदार के बयान पर कांड संख्या 287/11 दर्ज किया था, जिसमें 30 सितंबर 11 को अनुसंधान भी पूरा हुआ तथा अनुसंधानकर्ता ने एफ आर नंबर 103/11 के तहत उस मामले को घटनाओं अज्ञात अपराधकर्मियों द्वारा अंजाम देने का उल्लेख भी किया है तथा घटना को सत्य एवं सूत्रहीन करार देते अररिया की अदालत में अंतिम प्रपत्र अक्टूबर 11 में ही दाखिल कर दिया।
फिर पटना की नर्स उषा के चाचा द्वारा सिमराहा थाने में दर्ज कांड संख्या 221/12 के बाद क्या सी मामले ने नया मोड़ ले लिया है? वहीं क्या उक्त दोनों प्राथमिकियां एक ही महिला की हुई हत्या से जुड़ा हुआ है? इन बातों की चर्चा जोर पकड़ने लगा है।
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