Tuesday, June 26, 2012

विशिस-आपूर्तिकर्ता का मेल, हो गया सवा करोड़ का खेल


अररिया : केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना एमएसडीपी का इस जिले में काफी बुरा हाल है। 2009-10 में अल्पसंख्यक बहुल इलाके के स्कूलों में बच्चों की प्यास बुझाने के लिए टेरा फिल्टर लगाया गया। जिले के 373 मध्य विद्यालयों में टेरा फिल्टर लगाकर बच्चों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने संबंधी प्रशासन का दावा खोखला साबित हुआ।
टेरा फिल्टर लगाने के नाम पर विद्यालय शिक्षा समिति तथा आपूर्तिकर्ता का मेल इस कदर हो गया कि एमएसडीपी योजना मेंसवा करोड़ की राशि का 'खेल' हो गया अर्थात 373 विद्यालयों में 33 हजार की दर से राशि आवंटित की गई। काम करना था विद्यालय शिक्षा समिति तथा हेडमास्टर को, टेरा फिल्टर की आपूर्ति जिला से की गई। शिक्षा विभाग के तत्कालीन एक जिलास्तरीय अधिकारी ने आपूर्तिकर्ता से 'पीसी' की बात कर समूचे विद्यालयों में टेरा फिल्टर सामग्री की आपूर्ति करवाई। इसलिए सिन्टैक्स टंकी के बदले कुछ और हीं लगा दिया गया। बच्चों को लाभ तो नहीं मिला लेकिन अधिकारी व ठेकेदार की जेब जरूर गर्म हो गई। कागज पर सबकुछ फ‌र्स्ट क्लास रहा, लेकिन नहीं बुझी बच्चों की प्यास।
आज जिले के 373 विद्यालयों में लगे टेरा फिल्टर बंद पड़े हैं। विभाग चलाने वाला व्यक्ति नहीं रहने की बात कहकर पल्ला झाड़ रहा है। दरअसल 373 में 10 फीसदी फिल्टर चालू नहीं है। दैनिक जागरण ने जब इस मुद्दे को उठाया तो डीएम ने डीईओ को जांच कराने का निर्देश दिया। डीईओ राजीव रंजन प्रसाद के निर्देश पर बीईओ ने जांच शुरू की तो इसमें भी भारी पैमाने पर 'खेल' होने की जानकारी मिली। सारे बीईओ ने सभी टेरा फिल्टर को संतोषप्रद बताया है। लेकिन लोगों का मानना है कि अगर सही जांच कराई जाए तो कई हेडमास्टर व कार्यकारी एजेंसी का गर्दन फंसना तय है।
कहां कितना लगा टेरा फिल्टर: एमएसडीपी योजना के तहत जिले के अररिया प्रखंड में 122, सिकटी में 24, कुर्साकांटा 25, भरगामा- 26, रानीगंज-31, नरपतगंज में 34, जोकीहाट में 41 तथा फारबिसगंज-पलासी में 35-35 स्कूलों में टेरा फिल्टर लगाए गये थे।

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