Monday, January 23, 2012

10 वर्षो से चल रहा था फर्जी दस्तावेज बनाने का गोरख धंधा

अररिया : जिला प्रशासन के नाक के नीचे जीरोमाईल में फर्जी केवाला व फर्जी लगान रसीद बनाने का गोरखधंधा पिछले 10 वर्षो में चल रहा था। लेकिन किसी को कानों कान भनक तक नहीं लग पाया। पुलिस ने इस काले कारनामे का उद्भेदन सोमवार को किया। जीरोमाइल स्थित शालीमार होटल के नीचे स्थित महतो ट्रेडर्स नामक एजेंसी में बैंक ऋण के लिए फर्जी केवाला व लगान रसीद तैयार किये जाते थे। जिनके पास जमीन नहीं है, वैसे लोग भी यहां जमीन का फर्जी केवाला बनाकर केसीसी ऋण प्राप्त कर लेते थे। यह कारनामा पिछले एक दशक से चल रहा था। और अनुमान है कि अब तक केसीसी के तहत फर्जी कागजातों के आधार पर 50 करोड़ से अधिक निकासी की गयी है। एसपी ने उक्त एजेंसी से बड़ी संख्या में फर्जी कागजात, छह बैंकों के पासबुक, मुहर आदि बरामद किए हैं। उसकी जांच होने पर कई बैंक अधिकारी एवं कुछ सरकारी कर्मी भी इसके घेरे में आ सकते हैं। कागजातों को देखकर यह भी स्पष्ट होता है कि अंचल कार्यालय व कृषि विभाग की संलिप्तता भी सामने आ सकती है। 50 करोड़ से अधिक के इस फर्जीवाड़े के उद्भेदन से अररिया में हड़कंप मच गया है। आम लोग इसे डेहटी पैक्स से भी बड़ा घोटाला मान रहे हैं। हालांकि एसपी शिवदीप लांडे की माने तो जांच के बाद ही सत्यता सामने आयेगी। लेकिन वे भी मानते हैं कि इस गबन में और कई महारथी के नाम सामने आ सकते हैं। सूत्रों की मानें तो महतो ट्रेडर्स में फर्जी एलपीसी, जमीन का केवाला, लगान रसीद बनता था। इस फर्जी कागजातों के आधार पर बैंक से फर्जी तरीके से केसीसी ऋण की निकासी होती थी और फर्जी तरीके से कृषि यंत्र खरीदगी में अनुदान लिया जा रहा था। एसपी ने कुछ बैंक व अधिकारियों के मुहर भी बरामद किया है। एसपी श्री लांडे ने बताया कि सरकार द्वारा कृषि संयत्र खरीद में 10 प्रतिशत अनुदान लेने एवं गरीबों की भूमि पर दबंगों द्वारा कब्जा करने की नियत से फर्जी केवाला बनाया जाता था। सूत्रों की माने तो महतो ट्रेडर्स के मुख्य कर्ता धत्र्ता का बड़े ओहदे वालों से संपर्क हैं। पुलिस ने छापेमारी के दौरान जिस एक व्यक्ति को हिरासत में लिया है, उनसे पूछताछ करने पर बड़े रैकेट का पर्दाफाश हो सकता है। लेकिन इन सबके बावजूद सवाल यह उठता है कि 10 वर्षो से चलने वाला यह गोरख धंधा को बंद कराने की पहले इससे पूर्व प्रशासन के द्वारा क्यों नही की गयी? कहीं इस मामले में बड़े सरकारी मुलाजिम भी तो संलिप्त नहीं थे? ये सवाल फिलहाल फिजाओं में तैर रहे हैं।

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