Thursday, January 26, 2012

दावा हुआ हवा, बढ़ रहे यक्ष्मा के मरीज


पलासी (अररिया) : यक्ष्मा रोग को नष्ट करने को ले सरकार चाहे जितने दावे कर लें, लेकिन पलासी प्रखंड में इसका असर नही दिखाई दे रहा है। पलासी प्रखंड में संसाधनों की कमी तथा जागरूकता के अभाव में सारे प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। यही कारण है कि यहां यक्ष्मा रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। बीते वर्ष 2011 में यक्ष्मा के 113 एनएसपी रोगी चिन्हित किए गए हैं। जबकि जनवरी 2012 के 23 जनवरी तक 53 लोगों की जांच की गई, जिसमें 08 यक्ष्मा (एनएसपी) के रोगी चिन्हित किए गए। इसकी पुष्टि प्रभारी डॉ. जहांगीर आलम ने की है।
कितने संसाधन हैं मौजूद
गौरतलब है कि अररिया जिले में यक्ष्मा पर विराम लगाने हेतु सरकार सभी पीएचसी में जांच, परामर्श व डाट्स की दवा मुफ्त में उपलब्ध करा रही है। किंतु पलासी प्रखंड में इसकी जांच, परामर्श व दवा वितरण के लिए मात्र एक कमरा ही उपलब्ध कराया गया है। वहीं इन सब के लिए मात्र एक प्रयोगशाला ही उपलब्ध है। जिसमें मात्र बलगम जांच की ही सुविधा मौजूद है। रक्त जांच व एक्स-रे की सुविधा अबतक उपलब्ध नहीं हो सका है।
कितने हैं यक्ष्मा मरीज
इस संबंध में प्रयोगशाला प्रभारी मो. असलम ने बताया कि उपलब्ध संसाधन से यक्ष्मा (टीबी) रोग पर विराम लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि 2007 में यक्ष्मा के 79, 2008 में 69, 2009 में 95, 2010 में 102, 2011 में 113 तथा 23 जनवरी 2012 तक 08 यक्षमा के रोगी चिन्हित किए गए हैं। जिसमें बच्चों की संख्या भी अच्छी-खासी है। प्रखंड क्षेत्र में यक्ष्मा के आंकड़े बताते हैं कि इस पर विराम लगाने हेतु जागरूकता अभियान चलाने तथा पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराने की आवश्यकता है। ज्ञात हो कि पलासी प्रखंड काफी पिछड़ा क्षेत्र है। खेतों व मजदूरी यहां के लोगों का मुख्य दिशा है। किंतु सरकार के उदासीन रवैये के कारण कृषकों व मजदूरों की स्थिति दिनों दिन बिगड़ती जा रही है। पौष्टिक व स्वास्थ्य वर्धक भोजन के संबंध में लोग सोच भी नही पाते है।
क्या कहते हैं चिकित्सा पदाधिकारी:
इस बाबत प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने बताया कि इस रोग का मुख्य कारण है इनफेंक्शन। यह एक व्यक्ति से दूसरे में आसानी से फैल जाता है। इससे बचाव का मुख्य उपाय है पौष्टिक भोजन, नशा से परहेज, सही समय पर जांच, परामर्श व डाट्स (दवा) की पूरी खुराक लेने से बचा जा सकता है। दवा बीच में ही छोड़ देने से यक्ष्मा ठीक नहीं हो सकता है।
क्या कहते हैं आंकड़े:
प्रखंड क्षेत्र में बीते 5 वर्षो में यक्षमा से संबंधित जांच का आंकड़ा
वर्ष जांच परिणाम
2007 556 79
2008 475 69
2009 575 95
2010 733 102
2011 646 113
23 जनवरी 2012 53 08

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