Friday, January 27, 2012

राष्ट्र व समाज को अर्पण यह जीवन: गरिमा


फारबिसंज (अररिया) : सांसारिक सुख को त्याग कर साध्वी जीवन में जा रही फारबिसगंज के जैन समुदाय की युवती गरिमा बोथरा ने कहा कि वह अपना संपूर्ण जीवन समाज राष्ट्र और जैन धर्म की सेवा में लगा रही है। जन्म-मरण के बंधन से मुक्त होने की इच्छा लिये अग्रसर बीस वर्षीय गरिमा बोथरा आगामी 28 जनवरी को यहां दीक्षा ग्रहण कर घर परिवार और शहर को छोड़कर निकल जायेगी।
स्थानीय महावीर तेरापंथ भवन में बुधवार को जैन समुदाय द्वारा आयोजित प्रेस वार्ता में सुश्री गरिमा बोथरा ने कहा कि पूर्व में एक कार्यक्रम में आचार्य श्री भगवान को देख-सुन कर वे साध्वी जीवन जीने के लिये प्रेरित हुई। धीरे-धीरे यह दृढ़ निश्चय कर लिया कि दीक्षा ग्रहण कर भौतिक सुख का त्याग कर संयमित और मर्यादित जीवन जीना है। इसी मार्ग से जन्म-मरण से मुक्त हुआ जा सकता है। गरिमा ने कहा कि माता-पिता के लिये मेरा इस जीवन को ग्रहण करना दुख दायी तो है लेकिन इन्हें खुशी भी है कि उनकी पुत्री सही मार्ग पर जा रही है। अब सारा संसार ही माता-पिता है। उन्होंने कहा कि जो सहन नही कर सकते है उन्हीं के लिए यह कठिन मार्ग है। जबकि उनके लिए यह साध्वी जीवन सुख का मार्ग है। वे समाज व देश की सेवा के लिए निकल रही है। जैन धर्म का पालन व सेवा करेगी। इस अवसर पर गरिमा के पिता प्रदीप बोथरा, दादी, दोनों भाई सहित अतिथि के रूप में अखिल भारतीय साधुमार्गी जैन संघ के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शांति लाल साण्डल, अहमदाबाद के पुखराज श्री बोथरा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष गंभीर मलजी, कन्हैया लाल भूरा, वी राजा, चन्द्रकांता बोथरा, महिला राष्ट्रीय अध्यक्ष सहित कई लोग मौजूद थे। 26 जनवरी को महावीर भवन में इस अवसर पर भजन संध्या का आयोजन किया गया है। बिहार में पहली बार जैन समुदाय द्वारा दीक्षा कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से जैन धर्मावलंबी शामिल होंगे।

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