Friday, January 27, 2012

ईट भट्ठा में स्वाहा हो रही स्वतंत्रता सेनानी के पुत्र की जिंदगी


बथनाहा (अररिया) : अंग्रेजों से लड़कर देश को आजादी दिलाने वाले स्वतंत्रता सेनानी को ही आजा भारत के नागरिकों ने भूला दिया। यूं तो बथनाहा निवासी स्वतंत्रता सेनानी माधुरी मंडल का नाम फारबिसगंज प्रखंड मुख्यालय के शिलापट्ट पर भी दर्ज है। मगर आज तक स्व. मंडल या उसके परिजनों को एक भी सरकारी सुविधा नसीब नहीं हो पायी। जिला या अनुमंडल प्रशासन द्वारा भी कभी उनकी या उनके परिजनों की सुधि नहीं ली गयी। जबकि हर वर्ष 15 अगस्त एवं 26 जनवरी के अवसर पर स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित किया जाता है उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है मगर हमेशा से उपेक्षित सन 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में जेल की यातना सहने वाले आजादी के सिपाही बथनाहा निवासी माधुरी मंडल की पूरी जिंदगी आजादी उपरांत पूरे फाकाकशी में बिता। ग्रामीण बताते हैं कि स्व. माधुरी मंडल ने अपनी जीविका के लिए चाय-नास्तों की दुकान पर झूठे बर्तन तक मांजा करते थे। आज वही हालात उनके परिजनों की है। सरकारी उपेक्षा एवं प्रशासनिक उदासीनता के कारण आज स्वतंत्रता सेनानी माधुरी मंडल के बेटों एवं पोतों की जिंदगी स्थानीय ईट भट्ठों में ईटा पाथकर तथा दिल्ली-पंजाब में मजदूरी करके गुजर रही है।
स्व. मंडल के दो बेटों में सात पोते हैं। बड़ा बेटा 65 वर्षीय लक्ष्मण मंडल आज भी ईट भट्ठा में दैनिक मजदूर के रूप में कार्यरत है। जबकि दूसरा बेटा रामानंद मंडल कुछ वर्ष पूर्व ट्रैक्टर से दुर्घटना ग्रस्त होने के कारण काम करने से लाचार हो चुका है। जबकि अधिकांश पोते ज्यादातर दिल्ली-पंजाब में मेहनत मजदूरी किया करता है।
जानकार बताते हैं कि स्व. माधुरी मंडल पढ़े-लिखे नही थे। आजाद भारत में लड़कर वह स्वतंत्रता सेनानियों को मिलने वाले पेंशन एवं अन्य सुविधाएं नही प्राप्त कर सके। बताया जाता है कि करीब 17-18 वर्ष पूर्व उनकी मृत्यु भी समुचित इलाज के अभाव में हो गयी। जबकि किसी भी सरकारी सहायता से वंचित उनके परिजनों को आज भी उद्धारक की तलाश है। स्व. मंडल के पौत्र मनोज मंडल बताते हैं कि 10 वर्ष के पंचायती राज में बीपीएल में नाम दर्ज होने के बावजूद उनलोगों को इंदिरा आवास तक नसीब नही हो सका है। कुछ वर्ष पूर्व सिर्फ उनके ज्येष्ठ पुत्र लक्ष्मण मंडल के नाम से इंदिरा आवास आवंटित हुआ था। जिसमें भी पूरी राशि पूरी राशि उन्हें नही मिल पायी।

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