Friday, December 16, 2011

मनरेगा के तहत वृक्षारोपण के नाम पर खानापूर्ति


भरगामा (अररिया) : लगातार गहराते पर्यावरण संकट से निजात दिलाने को ले सरकार भले ही प्रयासरत रहे प्रखंड में मनरेगा के तहत वृक्षारोपण की योजना के क्रियान्वयन को लेकर उदासीनता बरती जा रही है। योजना में व्याप्त कथित भ्रष्टाचार के कारण केवल कागजों में ही पेड़ लगे हैं।
मनरेगा कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक शुरू में प्रखंड के प्रत्येक पंचायत में चार हजार पेड़ लगाने का लक्ष्य रखा गया था, जो पंचायत रोजगार सेवक के माध्यम से लगाया जाना था। इसमें फलदार व बिना फल वाले पौधे भी शामिल हैं। यह पेड़ पंचायत के इच्छुक बीपीएल परिवारों के जमीन व सार्वजनिक भूमि पर लगाए जाने थे। यहां तक कि पेड़ की रखवाली व पटवन कर पेड़ सुरक्षित रखने की व्यवस्था भी तत्काल की जानी थी। हरियाली के साथ रोजगार के तर्ज पर रखवाली का जिम्मा भी जब कार्ड धारी बीपीएल परिवारों को ही तय किया गया और इसके एवज में निर्धारित मजदूरी 120 रु. प्रतिदिन थी जो अब बढ़कर 144 रु. कर दी गई है।
क्या है स्थिति- फिलवक्त बीस पंचायत वाले इस प्रखंड में योजना मद के लगाए गए 200 पेड़ भी कहीं नजर नहीं आते। ताज्जुब तो यह है कि कई पंचायतों में पेड़ तो दूर संबंधित सूचनापट तक गायब है। बुद्धिजीवियों के साथ-साथ विभिन्न राजनीतिक दल के कार्यकर्ताओं की मानें तो योजनांतर्गत पेड़ लगाकर प्रखंड में हरियाली लाने के प्रति संबंधित अधिकारियों ने दिलचस्पी ही नहीं दिखाई। प्रखंड के विषहरिया पंचायत के मुखिया माहिनाज ने केवल वित्तीय वर्ष 2011-12 में पंचायत में 58 यूनिट यानि 11600 पेड़ लगाए जाने की जानकारी दी है, वही इसी वित्तीय वर्ष में खजुरी पं. के मुखिया महेश्वरी ऋषि ने 19 यूनिट (3800 पेड़), सिरसिया हनुमान गंज के मुखिया-मिथिलेश राय ने 40 यूनिट (8,000 पेड़), लगाए जाने की बात कही है। कमोवेश यही कहानी बांकी पंचायतों की भी है। सत्ताधारी दल के प्रखंड अध्यक्ष नवीन श्रीवास्तव व गठबंधन दल के प्रखंड अध्यक्ष अशोक सिंह बताते हैं कि क्षेत्रों में पेड़ की जगह केवल बोर्ड (सूचना पट्ट) लगाकर या इसकी कागजी खानापूर्ति कर लाखों की हेराफेरी सहजता पूर्वक की गई जो अभी भी जारी है।
क्या कहते हैं अधिकारी- मनरेगा पीओ भरगामा रामगंगा बताते हैं कि भरगामा में यह योजना वित्तीय वर्ष 2010-11 से प्रारंभ होने की बात कही है। जो आज भी जारी है। उन्होंने यह भी कहा कि पेड़ लगाने का कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं किया गया है, मांग के अनुरूप अधिक से अधिक पेड़ लगाया जा सकता है।

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