Saturday, December 17, 2011

गांवों में बह रहा दारू का दरिया


अररिया : प्रसिद्ध गजल गायक पंकज उधास की गायी गजल मंहगी हुई शराब कि थोड़ी थोड़ी पिया करो.. अब बेमानी हो गई है। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में वैध-अवैध तरीके से शराब की बिक्री चरम पर है। ग्रामीण युवाओं के बीच पियक्कड़ी एक नया फैशन बनता जा रहा है।
जिले में शराब की 109 वैध दुकानें हैं, लेकिन परचुनियों के माध्यम से यह संख्या चार गुना से भी अधिक हो गई है। तकरीबन पांच सौ दुकानें अवैध तरीके से अपना कारोबार पसारे हुए हैं। ये हर रोज नए युवकों व किशोरों को दारू के मकड़जाल में फंसा लेती हैं।
ज्ञात हो कि शहरी क्षेत्र की शराब दुकानें अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए ग्रामीण क्षेत्र के किराना व चाय पान की दुकानों को अपना मीडियम बना लेती हैं तथा उनके माध्यम से जम कर पैसे बटोरती हैं। इन दुकानों को परचुनिया कहा जाता है। ये परचुनिया ही जिले में शराब की बढ़ती खपत के मुख्य सूत्रधार हैं।
एक पूर्व शराब प्रेमी ने बताया कि शराब की लाइसेंसी दुकानों ने रामपुर, पटेगना, पलासी, ताराबाड़ी, बीड़ी हाट, हलधारा हाट, सोनामणि गोदाम, मदनपुर, कुआड़ी, सिकटी, बरदाहा, कासत व ऐसे ही सैकड़ों अन्य स्थानों पर कार्यरत दुकानों को अपना अड्डा बना रखा है और रात के अंधेरे में फैशन परस्त युवाओं को शराब परोसी जाती है।
वहीं, जानकारों की मानें तो जिले में कई ऐसे स्थान भी हैं जहां महुआ, मड़ुवा, चावल आदि से देसी शराब बनती है। इन स्थानों में जयप्रकाशनगर, कुसियारगांव स्टेशन, देवरिया, रानीगंज बाजार, नरपतगंज आदि प्रमुख हैं। रानीगंज में तो बाकायदा देसी दारूकी हाट सजती है।


0 comments:

Post a Comment