Friday, June 22, 2012

बैरी भए बदरा, झुलस रहा पटुआ



अररिया : जूट इस जिले के किसानों की जीवन रेखा है। इसे कैश क्राप की संज्ञा प्राप्त है। यहां के किसान जूट बेचकर ही अपनी हर जरूरत पूरी करते हैं। लेकिन इस बार बारिश की कमी से खेत में खड़ी जूट की फसल झुलसने लगी है। वहीं, मूंग, गरमा धान व अन्य फसलों पर भी बुरा असर पड़ रहा है।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार विगत कई सालों में ऐसा पहली बार हुआ है कि मई महीने में नगण्य वर्षा हुई। वहीं, जून महीने का तीन सप्ताह बीत जाने के बाद भी पानी की एक बूंद तक नहीं पड़ी है। किसान मानसूनी बादलों की ओर टकटकी लगाकर देख रहे हैं, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि इस बार बादल बैरी बन गए हैं।
वर्षा की कमी के कारण सर्वाधिक असर जूट की फसल पर पड़ रहा है। अधिकतर प्रखंडों में जूट की खड़ी फसल खेतों में ही झुलसने लगी है। जानकारों की मानें तो उमस भरी गर्मी जूट के लिए फायदेमंद जरूर होती है, लेकिन इसके लिए खेत में नमी होना जरूरी है। मई महीने में वर्षा नहीं होने के कारण खेतों में नमी बिल्कुल नहीं है और इसका असर जूट के अलावा मूंग, गरमा धान आदि पर भी पड़ रहा है।
इधर, जिले में कार्यरत सिंचाई संसाधन पूरी तरह नकारा बने हुए हैं। कोसी की नहरें पांच साल से बंद पड़ी हैं। 32 राजकीय नलूकपों में से मात्र दो काम कर रहे हैं। उद्वह सिंचाई योजनाएं लापता बनी हैं। किसान अपनी फसल की सिंचाई करें तो कैसे?

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