Friday, July 6, 2012

सर, जरा देखिए कष्ट में है अन्नदाता

सिकटी (अररिया), : पूस-माघ की हाड़ कपाने वाली भीषण ठंड हो या बैशाख-जेठ की चिलचिलाती धूप किसान अपने खेत खलिहान में मेहनत-मशक्कत करने से परहेज नहीं करते। प्रखंड में मुख्य जीविका का साधन कृषि ही है। अपनी पेट की आग बुझाने के लिए तत्पर रहने वाले यहां के किसान गेहूं के वर्तमान बाजार भाव से काफी मर्मांहत है। बैंक व महाजनों के कर्ज से मुक्ति पाने के लिए किसान औने-पौने दामों में गेहूं बेचने के लिए मजबूर हैं। समय रहते यदि किसानों की माली हालत में सुधार लाने के लिए सरकार ठोस कदम नहीं उठाती है तो आने वाला कल निश्चय ही भयावह होगा। एक ओर जहां रासायनिक खाद की बढ़ती कीमत से किसानों में हाहाकार मचा हुआ है। वहीं दूसरी ओर किसानों को उनके फसलों के उचित कीमत नहीं मिलने से काफी मायूस दिख रहे हैं। फसल की उचित कीमत नहीं मिलने से धान का रोपाई पर असर पड़ने लगा है। प्रकृति के बेरूखी के कारण किसानों का गेहूं का फसल पहले ही बर्बाद हो चुकी है। फिलहाल गेहूं का कीमत 800 रुपया से 950 प्रति क्विंटल बिक्री करने को मजबूर है। प्रखंड के किसान जगदेव मंडल, यदुनंदन ठाकुर, जागेश्वर साह, मो. बटूरूद्दीन आदि किसानों का मानना है कि कृषि कार्य अब काफी महंगा हो गया है। डीजल व कृषि उपकरण के दामों में लगातार वृद्धि होने से कृषि कार्य काफी महंगा हो गया है। प्रखंड में सिंचाई का व्यवस्था पहले से ही नगण्य है जिससे धान रोपाई पर असर पड़ रहा है। जबकि पैक्स के माध्यम से जिन किसानों ने अपना धान बेचा अभी तक किसानों को पैसा को-आपरेटिव बैंक द्वारा नहीं मिल पाया है। किसान बैंक का चक्कर बार-बार लगाते रहते हैं। इस संबंध में बीएओ अनिल कुमार ने बताया कि पैक्स के माध्यम से जो भी धान की खरीद हुई थी अभी तक उसका उठाव नहीं हो सका है।

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