सिकटी (अररिया) : पूस-माघ की हाड़ कपाने वाली भीषण ठंड हो या बैसाख-जेठ की चिलचिलाती धूप किसान अपने खेत खलियान में मेहनत-मशक्कत करने से बाज नही आते। प्रखंड में मुख्य जीविका का साधन कृषि ही है। अपनी पेट की आग बुझाने के लिए तत्पर रहने वाले यहां के किसान गेहूं के वर्तमान बाजार भाव से काफी मर्माहत है। बैंक व महाजनों के कर्ज से मुक्ति पाने के लिए किसान औने-पौने दामों में गेहूं बेचने के लिए मजबूर है। वक्त का तकाजा है कि समय रहते यदि किसानों की माली हालत में सुधार लाने के लिए सरकार ठोस कदम नही उठाती है तो आने वाला कल निश्चय ही भयावह होगा। एक ओर जहां रसायनिक खाद की बढ़ती कीमत से किसानों में हाहाकार मचा हुआ है। दूसरी ओर किसानों को उनके फसलों की उचित कीमत नही मिलने से काफी मायूस दिख रहे हैं। फसल की उचित कीमत नही मिलने पर किसानों का धान का रोपाई पर असर पड़ने लगा है। प्रकृति के बेरूखी के कारण किसानों का गेहूं का फसल पहले ही बर्बाद हो चुका है। लेकिन जो कुछ भी बचा है उसकी सही कीमत किसानों को नही मिल पा रहा है। फिलहाल सही कीमत किसानों को नही मिल पा रहा है। फिलहाल गेहूं का कीमत 800 रुपया से 950 प्रति क्विंटल बिक्री करने को मजबूर है। प्रखंड के किसान जगदेव मंडल, यदुनंदन ठाकुर, जागेश्वर साह, मो. बटूरूद्दीन आदि किसानों का मानना है कि कृषि कार्य अब काफी महंगा हो गया है। डीजल व कृषि उपकरण के दामों में लगातार वृद्धि होने से कृषि कार्य काफी महंगा हो गया है। किसानों ने बताया कि उनके फसल का जब तक सही मूल्य नही मिलेगा तब तक कृषि से उन्हें लाभ नहीं मिलेगा। प्रखंड में सिंचाई का व्यवस्था पहले से ही नगण्य है जिससे धान रोपाई पर असर पड़ रहा है। जबकि पैक्स के माध्यम से जिन किसानों ने अपना धान बेचा अभी तक किसानों को पैसा का-आपरेटिव बैंक द्वारा नही मिल पाया है। किसान बैंक का चक्कर बार-बार लगाते रहते हैं। इस संबंध में बीएओ अनिल कुमार ने बताया कि पैक्स के माध्यम से जो भी धान की खरीद हुई थी अभी तक उसका उठाव नही हो सका है तथा सिकटी 50 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की गई है।
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