Wednesday, July 4, 2012

आंगन में बदला नोमैंस लैंड


अररिया : नोमैंस लैंड यानी दो अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के बीच का ऐसा क्षेत्रफल जिस पर किसी का कब्जा न हो। मगर इंडो-नेपाल बार्डर पर ऐसा नहीं है। यहां नोमैंस लैंड घर-आंगन में तब्दील हो गया है। जोगबनी में तो नोमैंस लैंड पर बजरंगबली और दुर्गा का कब्जा है। सीमा विभाजित करने के लिए सीमा पर लगे 75 पीलर भी गायब हैं।
जिले में लगभग 75 किमी इंडो-नेपाल बार्डर स्थित है। भारत-नेपाल की सीमा पर दस गज जमीन नोमैंस लैंड के लिए छोड़ी गई। समय के साथ सीमा की निगहबानी और जवाबदेही बदलती गई। इस बीच भारत में विदेशी वस्तुओं व नेपाल में भारतीय खाद्य पदार्थ सहित अन्य उत्पादों की डिमांड बढ़ी। तस्करों ने इस मुफीद स्थिति का फायदा उठाया और सामानों की तस्करी शुरू कर दी। बाद में एसएसबी की 24वीं और 28 वीं बटालियन की पदस्थापना हुई। सीमा पर चौकसी बढ़ी तो तस्करों ने नोमैंस लैंड पर अवैध निर्माण कर इस समस्या का तोड़ निकाला। सिकटी, कुंवाड़ी, पथरदेवा आदि जगहों पर नोमैंस लैंड की जमीन पर अवैध निर्माण हो चुका है। जोगबनी में जयप्रकाश नारायण चेक पोस्ट के बाद नोमैंस लैंड पर महावीर व दुर्गा मंदिर का निर्माण हो चुका है। स्थायी तौर पर यहां दुकानें भी बन गई हैं। वहीं सीमांकन के लिए भारतीय सीमा पर लगे 65 पीलर भी धीरे-धीरे गायब हो चुके हैं। सिकटी में एक चाय दुकान व नरपतगंज में एक आंगन में पीलर है।
बता दें कि नेपाल से तराई क्षेत्र में उतरने वाली पहाड़ी नदियां भी सीमा रेखा को बदलने में अपनी भूमिका निभाती रहती हैं। इन नदियों की तेज धार में कई पीलर बह गए, जबकि अधिकांश पीलर क्षतिग्रस्त हो चुके हैं।
दो जून को जोगबनी में इंटीग्रेटेड चेकपोस्ट के निरीक्षण को आए भारत सरकार के गृह सचिव आर.के सिंह ने भी सीमा से गायब पीलर और नोमैंस लैंड पर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था कि दोनों देश इस समस्या को दूर करने की दिशा में काम कर रहे हैं।
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कोट :-
''सीमा पर लगे कई पीलर क्षतिग्रस्त हैं और कई गायब हैं। नोमैंस लैंड पर अतिक्रमण की रिपोर्ट बिहार सरकार को भेजी गई है। सीमा पर लगे पीलर के रखरखाव की जिम्मेदारी बिहार सरकार की है।''
के. रंजीत, एसएसबी कमांडेंट

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