अररिया : हरियाली के दुश्मन लगातार सक्रिय हैं। सरकारी जंगलों में वन विभाग ने कड़ाई की तो अब वे सड़क तट के पेड़ों को निशाना बना रहे हैं। सदियों से पथ तट पर खड़े पुराने पेड़ों को अपंग बनाने का सिलसिला लगातार जारी है। इन वृक्षों की रक्षा का दायित्व आखिर किसका है? ब्रिटिश शासन काल में व देश के आजाद होने के बाद सरकार द्वारा डिस्ट्रिक्ट बोर्ड व लोक निर्माण विभाग की सड़कों के किनारे बड़े पैमाने पर मल्टी स्पेसी के फ्रुट बियरिंग पेड़ लगाये गये थे। इनसे जहां आम लोगों को पर्यावरण व फल के रूप में सीधा लाभ होता था, वहीं सरकार के लिए ये करोड़ों की संपत्ति थे। लेकिन हरियाली के दुश्मनों की नजर इन पर लग गयी तथा धीरे धीरे उन्हें काटा जाने लगा। कई जगहों पर सड़क किनारे लगे पेड़ आराम से काटे जा रहे हैं। इतना ही नहीं साजिश के तहत पहले जलावन के नाम पर इन पेड़ों की छाल छील ली जाती है। जिससे पेड़ धीरे धीरे सूख जाते हैं। तब उन्हें आराम से काट कर उपयोग में ले आया जाता है। हरियाली के इन दुश्मनों को रोकने वाला कोई नहीं। अररिया कोर्ट स्टेशन उससे आगे चंद्रदेई की तरफ जाने वाली सड़क में करोड़ों रुपयों की कीमत के पेड़ थे। लेकिन उन्हें आराम से काट लिया गया। आखिर ये किसकी संपत्ति हैं? वन परिसर पदाधिकारी हेमचंद्र मिश्रा का कहना है कि सड़क किनारे जिन वृक्षों को रोपण व संधारण वन विभाग द्वारा किया जाता है, उन्हें पीएफ व आरएफ की श्रेणी में रखा जाता है और उनकी रक्षा का दायित्व भी वन विभाग का है। उन्होंने कहा कि अधिकतर सड़कों के तट पर लगे पुराने पेड़ पीडब्लुडी या संबंधित विभाग की संपत्ति हैं। उनकी रक्षा व संधारण भी उन्हीं को करना है। सिर्फ वैसे पेड़ जिन्हें पीएफ या आरएफ की श्रेणी के तहत रखा गया है, वन विभाग की निगरानी में हैं। इधर, जानकारों की मानें तो डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के स्वामित्व वाली सड़कों पर लगे पेड़ सर्वाधिक कट रहे हैं। लेकिन निगरानी की कमी साफ नजर आती है। इतना ही नहीं डिस्ट्रिक्ट बोर्ड अपने पेड़ों की बगैर सूचना के ही आक्शन भी कर देता है।
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