Thursday, June 21, 2012

प्रकृति की पड़ी मार, अररिया के किसानों पर टूटा कहर


अररिया : जिले में एक बार फिर किसानों पर प्रकृति ने कहर बरपा दिया है। किसान जिला छोड़ पलायन का मन बना रहे हैं। पिछले कुछ वर्षो के बारिश आंकड़ों पर गौर किया जाए तो सबसे कम 2012 में अब तक बारिश हुई है। खेत फटने लगे हैं, किसानों के बीच त्राहिमाम सी स्थिति है। आगामी कुछ दिनों में अगर इंद्रदेव ने नाराजगी खत्म नहीं की तो इस बार अररिया धान उत्पादन लक्ष्य में सबसे पीछे हो सकता है। जिले में विभाग ने इस वर्ष एक लाख हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके लिए जिले में 10 हजार हेक्टेयर में धान का बिचड़ा लगाना था, लेकिन अब तक मात्र 600 से 750 हेक्टेयर में ही बिचड़ा लगाया गया है। इसकी पुष्टि जिला कृषि पदाधिकारी नईम अशरफ भी करते हैं।
विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अगर मौसम का ऐसा ही गर्म मिजाज रहा तो जिले में निर्धारित लक्ष्य ढाई लाख मिट्रीक टन धान की खेती पर ग्रहण लग जायेगा। जिले के किसानों की आंखे भी आसमान की ओर देखते-देखते पथरा गई है। लेकिन इन्द्रदेव शायद अररिया की धरती पर मेहरबान नहीं है। कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो धान का बिचड़ा लगाने का समय बीत गया है। जून माह के मध्य में ही बिचड़ा लगाया जाता है। लेकिन अब तक मात्र 8 से 10 फीसदी बिचड़ा लगाने की बात सामने आने से यहां का प्रशासन भी परेशान है। जिला कृषि पदाधिकारी नईम अशरफ ने बताया कि सरकार को त्राहिमाम संदेश भेज दिया गया है। पंपसेट के माध्यम से बिचड़ा गिराने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन यह नाकाफी साबित हो रहा है। उन्होंने बताया कि बारिश नही होने से सीता, स्वर्णा, राजश्री, एमटी 7029, राजेन्द्र कस्तूरी, आईआर 36 बीपीटी 5204, राजेन्द्र 1001 आदि किस्म के धान बीज प्रभावित हो रहे हैं।

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