जोगबनी (अररिया), निप्र: जब तक मानव तन में कुबुद्धि रहेगी तब तक मृत्यु का भय बना रहेगा। इसलिए कुबुद्धि को त्याग प्रभु के चिंतन में लीन हो जाइए और भगवत भजन कीजिए सभी कष्ट अपने आप समाप्त हो जायेंगे।
उपरोक्त बातें भागवत ज्ञान सप्ताह के अंतिम दिन भगवताचार्य ने अपने प्रवचन में कही। उन्होंने कहा कि भागवत धर्म का अर्थ है किसी प्रकार की वस्तु जिसे भगवान को अर्पण करते हैं। सभी प्रकार के जीवात्मा भगवान के संतान है। इसलिए सभी कार्य प्रारंभ करने के पहले भगवान को स्मरण कर कार्य प्रारंभ करना चाहिए। किये गये कार्य अवश्य फलीभूत होगा। क्योंकि पूरा संसार प्रभु की माया है और हम सब उसके किरदार। इसके पश्चात मंत्रोच्चारण के साथ भागवत ज्ञान सप्ताह का समापन किया गया। इस मौके पर कृष्ण राधा की झांकी प्रस्तुत की गयी। कार्यक्रम की सफलता को ले बालकृष्ण विहानी, प्रेरणा, पूजा, सुनीता, सुशीला, रंजना रश्मि नारायण तापडिया, भीखम चन्द्र तापडिया काफी सक्रिय दिखे।
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