अररिया : सुशासन की सरकार आते ही कोर्ट द्वारा स्पीडी ट्रायल चलाकर अपराध कर्मियों को सजा दिलाने का व्यापक असर हुआ है। उसमें भी खासकर दुष्कर्मी को लगातार मिल रही सजा से अन्य असमाजिक तत्वों का मनोबल टूट रहा है।
इस मामले में त्वरित न्यायालयों की भूमिका काफी सराहनीय रहा है। एक विधवा के साथ किये गये दुष्कर्म के मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट द्वितीय ने सात वर्षो का सश्रम सजा सुनाया। सत्रवाद संख्या 175/98 के तहत यह फैसला सुनाया गया। तोनहागांव की एक नाबालिग लड़की के साथ हुये दुष्कर्म के मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट द्वितीय ने एक आरोपी को सात वर्ष की सजा सुनाया। सत्र वाद संख्या 495/93 के तहत सुनवाई हुई। तोनहा गांव के हीरा लाल मेहता को दुष्कर्म आरोपी पाया गया था।
इस तरह स्पीडी ट्रायल चलाकर अपराध कर्मियों पर नकेल कसने का असर इस जिले में पड़ा है। हालांकि गंभीर घटनाओं पर विराम लगाने के लिये जिले की पुलिस हर उपाय ढूंढ रही है।
लेकिन गरीबी व बेरोजगारी झेल रहे इस क्षेत्र में लोग दुष्कर्म को हथियार के रूप में भी इस्तेमाल करने में लग गये हैं। अब तक कई ऐसे दुष्कर्म के मामले थानों में दर्ज हुआ है, जिसमें कई मामले फर्जी हो ऐसे अपराध विरोधियों को फंसाने की नीयत से लगाये गये थे।
सूत्र बताते है कि अररिया में पिछले पांच वर्षो से 620 दुष्कर्म के मामले दर्ज कराये गये जिसमें कई मामले किसी को फंसाने की नीयत से दर्ज कराये गये थे। ऐसे मामलों को दर्ज करवाने में कतिपय महिलायें अपना हथियार के रूप में इस्तेमाल करती रही है।
फिर भी फास्ट ट्रैक समेत सेसन कोर्ट द्वारा इस तरह के लंबित मामलों का स्पीडी ट्रायल चलाकर अपराध कर्मियों को सजा दिलाने की सक्रियता काफी प्रशंसनीय कहा जा रहा है। क्योंकि वैसे अपराध कर्मी अब अपने सहयोगियों को कोई दांव-पेंच लगा कर स्पीडी ट्रायल से बचा नही पा रहे है।
इस मामले में त्वरित न्यायालयों की भूमिका काफी सराहनीय रहा है। एक विधवा के साथ किये गये दुष्कर्म के मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट द्वितीय ने सात वर्षो का सश्रम सजा सुनाया। सत्रवाद संख्या 175/98 के तहत यह फैसला सुनाया गया। तोनहागांव की एक नाबालिग लड़की के साथ हुये दुष्कर्म के मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट द्वितीय ने एक आरोपी को सात वर्ष की सजा सुनाया। सत्र वाद संख्या 495/93 के तहत सुनवाई हुई। तोनहा गांव के हीरा लाल मेहता को दुष्कर्म आरोपी पाया गया था।
इस तरह स्पीडी ट्रायल चलाकर अपराध कर्मियों पर नकेल कसने का असर इस जिले में पड़ा है। हालांकि गंभीर घटनाओं पर विराम लगाने के लिये जिले की पुलिस हर उपाय ढूंढ रही है।
लेकिन गरीबी व बेरोजगारी झेल रहे इस क्षेत्र में लोग दुष्कर्म को हथियार के रूप में भी इस्तेमाल करने में लग गये हैं। अब तक कई ऐसे दुष्कर्म के मामले थानों में दर्ज हुआ है, जिसमें कई मामले फर्जी हो ऐसे अपराध विरोधियों को फंसाने की नीयत से लगाये गये थे।
सूत्र बताते है कि अररिया में पिछले पांच वर्षो से 620 दुष्कर्म के मामले दर्ज कराये गये जिसमें कई मामले किसी को फंसाने की नीयत से दर्ज कराये गये थे। ऐसे मामलों को दर्ज करवाने में कतिपय महिलायें अपना हथियार के रूप में इस्तेमाल करती रही है।
फिर भी फास्ट ट्रैक समेत सेसन कोर्ट द्वारा इस तरह के लंबित मामलों का स्पीडी ट्रायल चलाकर अपराध कर्मियों को सजा दिलाने की सक्रियता काफी प्रशंसनीय कहा जा रहा है। क्योंकि वैसे अपराध कर्मी अब अपने सहयोगियों को कोई दांव-पेंच लगा कर स्पीडी ट्रायल से बचा नही पा रहे है।
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